बड़ा आदमी वह है जो बड़प्पन दिखाऐ,अपने क्षेत्र की उन्नति के लिए कोई भेदभाव न रखे। हमारे संत कबीर ने भी इसको परिभाषित करते हुए कहा है कि बड़े बनो लेकिन उस खजूर की तरह नहीं जिसका दायरा सीमित हो। आशय यह कि उस वट वृक्ष की भांति बनो जिसके बहुआयामी गुण हो।बुजुर्ग भी जब अपने से छोटों को हमेशा बड़े होने का ही आशीर्वाद देते हैं।यदि माननीय गृहमंत्री अमित शाहजी ने रोड शो मे अपने प्रत्याशी के लिए बड़े होने की बात कही तो क्या गलत कह दिया। इसे राजनैतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए और न ही गलत व्याख्या की जानी चाहिए। ऐसा करना संकुचित मानसिकता दर्शाता है।हमारे देश मे ही ऐसे अनेक नेता हुए हैं जिन्होंने एक छोटे पद से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत करते हुए बड़े मुकाम तक पहुचे है। सेवक का अर्थ है सेवा करनें वाला।आप विभिन्न क्षेत्रों मे जाकर जनसेवा या देशसेवा कर सकते है। यह सेवा का दायरा ही क्रमश: बढ़ते हुए सेवक को बड़ा आदमी बनाता है औरों की सतत् आलोचन कर के ही कोई बड़ा नहीं बना सकता।यहां भी कबीर ही कहते हैं *बुरा जो देखन मै चला बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना मुझसा बुरा ना कोय* आज देश एक बेहतरीन दौर से गुजर रहा है। हर क्षेत्र मे विकास के नये आयाम स्थापित कर रहा है। पहली बार दुनिया के देशों ने भारत को देखने का नजरिया बदल है।इसी स्थिति को बरकरार रखने की पुरजोर कोशिश होनी चाहिए। पांच वर्षों मे सरकारें हमें अपने कार्यों के आकलन का मौका देती है।इसे गहराई और गंभीरता से सोचिए।मतदान करते वक्त अपने स्थानीय सुख दुख के अलावे पूरे देश के भविष्य को ध्यान मे रखते हुए अपना प्रतिनिधि चुने।जो आपकी आवाज को प्रदेश और देश के मुखिया तक पहुंचा सके।
बड़ा आदमी होने का अर्थ….
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lochan Gupta