रायगढ़. जिला अस्पताल के सोनोग्राफी सेंटर में विगत 15 दिनों से ताला लटका हुआ है, ऐसे में यहां उपचार कराने आने वाले मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं अब अधिकारी भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने का हवाला देते हुए हाथ खड़े कर दिए हैं, जिससे मरीजों की दिक्कतें बढ़ गई है, ऐसे में या तो निजी लैब का सहारा लेना पड़ रहा है, या दोबारा मेकाहारा में जाकर जांच कराने की मजबूरी बनी हुई है।
उल्लेखनीय है कि जिले के सबसे बड़े किरोड़ीमल चिकित्सालय इन दिनों सफेद हाथी साबित हो रहा है। क्योंकि बदहाल व्यवस्था के चलते यहां आने वाले मरीजों को सिर्फ परेशानी का ही सामना करना पड़ता है। मेडिकल कालेज अस्पताल से अलग होने के बाद यहां लगातार समस्याएं बनी हुई है। साथ ही कभी-कभार व्यवस्था सुधारे का प्रयास भी किया जाता है तो कुछ दिनों तक ठीक रहता है, लेकिन फिर से वही स्थिति हो जाती है। जिससे मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल में पूर्व में एक रेडियोलॉजिस्ट की भर्ती हुई थी, जिससे कुछ दिनों तक सोनोग्राफी हो रही थी, लेकिन यहां की बदहाल व्यवस्था को देखते हुए उक्त रेडियोलॉजिस्ट ने भी स्तीफा देकर चला गया है, जिससे सोनोग्राफी सेंटर में ताला लटक गया है। ऐसे में जिला अस्पताल व एमसीएच में उपचार कराने आने वाली गर्भवती माताओं को डाक्टर द्वारा सोनोग्राफी लिखे जाने पर उनको प्रायवेट का सहारा लेना पड़ रहा है। जिससे इनके ऊपर अतिरिक्त भार पडऩे लगा है। वहीं कई मरीज तो ऐसे भी है जो जिला अस्पताल व एमसीएच में जांच कराने के बाद सोनोग्राफी लिखे जाने पर वे दोबारा मेकाहारा जांच के लिए पहुंच रहे हैं, जहां जांच कराने के बाद वहां सोनोग्राफी करा रहे हैं, ऐसे में मरीजों को डबल परेशानी हो रही है। वहीं सोनोग्राफी नहीं होने की स्थिति में अब मरीजों का भी जिला अस्पताल से मोह भंग होने लगा है और मेकाहारा में ही कतारबद्ध होकर उपचार कराना मुनासिब समझ रहे हैं।
पहले से स्तीफा की चल रही थी तैयारी
उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल के रेडियोलाजिस्ट विगत तीन-चार माह से ही स्तीफा देने की बात कर रहा था, लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा समय रहते कोई व्यवस्था नहीं किया गया, जिसके चलते अब उक्त डाक्टर के जाने के बाद यहां ताला लटक गया है, लेकिन इसके एवज में 15 दिन बित जाने के बाद भी कोई और व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में यहां उपचार के लिए आने वाली गर्भवती माताओं को ज्यादा दिक्कतें होने लगी है। ऐसे में अगर समय रहते ही यहां रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था हुई होती तो मरीजों को भटकना नहीं पड़ता।
इस संबंध में अस्पताल आने वाले परिजनों से बात की गई तो उनका कहना था स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती माताओं व बच्चों के लिए एक अलग से 100 बेड का अस्पताल भी चालू किया गया है, जहां सिर्फ गर्भवती माताएं व बच्चों का उपचार होता है, इस अस्पताल की भी बागडोर जिला अस्पताल के हाथों में है, जिससे पूर्व में एमसीएच आने वाले मरीजों को सोनोग्राफी के लिए जिला अस्पताल ही आना पड़ता था, ऐसे में अब एमसीएच में ओपीडी जांच कराने के बाद वहां से सोनोग्राफी के लिए जिला अस्पताल भेजा जाता है, लेकिन यहां आने के बाद पता चलता है कि सोनोग्राफी बंद है, तो दोबारा एमसीएच जाना पड़ता है, जहां या तो निजी अस्पताल भेजा जाता है या मेकाहारा, ऐसे में इस अस्पताल से उस अस्पताल का चक्कर काटने में ही काफी विलंब हो जा रहा है। जिसको लेकर मरीजों में आक्रोश पनपने लगा है।
जिला अस्पताल का सोनोग्राफी सेंटर बंद, मरीज हो रहे परेशान
रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने से लटक रहा है ताला
