रायगढ़. जन्मजात मोतियाबिंद से पीडि़त बच्चों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा सर्वे कर सर्जरी कराया जा रहा है, ऐसे में अभी तक कुल 12 बच्चों की सर्जरी के बाद रौशनी लौटी है।
उल्लेखनीय है कि जिले में अब जन्मजात मोतियाबिंद के मरीजों की संख्या बढऩे लगी है, ऐसे में राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण के तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव-गांव में सर्वे कर ऐसे बच्चों का चिन्हांकन कर उनका आपरेशन करा रही है, ताकि वे अपनी आंखों से दुनिया देख सके। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी तक कुल 12 बच्चों का चिन्हांकन किया था, जिसमें से 8 बच्चों को एक आंख में मोतियाबिंद था तो चार बच्चें दोनों आंखों से पीडि़त थे, जिससे उनको पढऩे लिखने व अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता था। इससे घरघोड़ा थाना क्षेत्र के ग्राम गुमड़ा निवासी योगेंद्र दास महंत (8 वर्ष) और धरमजयगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम रैरुमा निवासी पूर्णिमा राठिया (7 वर्ष) दोनों के जन्म से ही मोतियाबिंद था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण इनका उपचार नहीं हो पा रहा था, इससे उनको पढऩे व अन्य काम के लिए समस्या का सामना करना पड़ता था। इससे राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बच्चों का चिन्हांकन किया और जिला चिकित्सालय में उसका नि:शुल्क ऑपरेशन कराया। ऑपरेशन के बाद योगेन्द्र व पूर्णिमा सहित अन्य आठ बच्चों की आंखों की रोशनी लौट आई। जिससे अब वे अपने आंखों से दुनिया देखने लगे हैं। इससे माता-पिता ने भावुक होकर शासन की इस महत्वपूर्ण योजना के प्रति आभार व्यक्त किया।
वनांचल क्षेत्र से ज्यादा आ रहे मरीज
उल्लेखनीय है कि जन्मजात मोतियाबिंद की समस्या वनांचल क्षेत्र से ज्यादा आ रहा है, जिसको देखते हुए दूरस्थ क्षेत्रों में मोतियाबिंद के संभावित मरीजों की लगातार पहचान की जा रही है। चिन्हांकित मरीजों को जिला चिकित्सालय लाकर उनका नि:शुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन एवं उपचार किया जा रहा है। साथ ही स्कूल हेल्थ कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत जिले के सभी शासकीय माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की आंखों की जांच कर दृष्टि दोष पाए जाने पर नि:शुल्क चश्मा वितरण किया जा रहा है।
अनुवांशिक समस्या
इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार सर्वे करने पर यह बात भी सामने आ रही है कि ज्यादातर मामले में जन्मजात केस भी आ रहे हैं, वहीं कई केस ऐसे भी है जो प्रेगनेंसी के समय माताओं में विटामिन ए की कमी पाई गई, जिसका समय पर दवा का सेवन न करने से इस तरह की समस्या बच्चों में आ रही है, ऐसे में गर्भ के समय भी माताओं को सेहत को लेकर ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। ताकि बच्चों में किसी गंभीर बीमारी का खतरा न हो सके।
इन डाक्टरों की टीम ने किया सर्जरी
गुरुवार को जन्मजात बच्चों की सर्जरी करने वाली टीम में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मीना पटेल, डॉ. आर.एम. मेश्राम, डॉ. पी.एल. पटेल (निश्चेतना विशेषज्ञ), डॉ. उषा किरण भगत, सहायक नोडल अधिकारी राजेश आचार्य, निजी चिकित्सालयों के नेत्र रोग विशेषज्ञ व स्वास्थ्यकर्मियों का विशेष योगदान रहा।
जन्मजात मोतियाबिंद से पीडि़त 8 बच्चों की लौटी आंखों की रोशनी
जिला अस्पताल में अभी तक 12 बच्चों का हो चुका है सर्जरी, राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण के तहत लोगों को मिल रहा लाभ



