कोतबा। छत्तीसगढ़ में सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए शासन भले ही करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा रहा हो, लेकिन मैदानी स्तर पर ठेकेदारों की मनमानी और अधिकारियों की सुस्त कार्यप्रणाली ने सरकार की मंशा पर पानी फेर दिया है। ताजा मामला विकासखंड फरसाबहार के दक्षिणी क्षेत्र कोल्हेंझरिया का है, जहां आजादी के 76 वर्षों बाद बन रही बहुप्रतीक्षित सडक़ अब विकास के बजाय विनाश और भ्रष्टाचार का उदाहरण बनती जा रही है। यह मामला पीडब्ल्यूडी विभाग की देखरेख में इंद्रानगर (कोल्हेंझरिया) से पत्थलगांव विकासखंड के फरसाटोली तक लगभग 2 किलोमीटर लंबी सडक़ का निर्माण किया जा रहा है। इसकी लागत करीब 1 करोड़ 99 लाख रुपये है। यह सडक़ दो विकासखंडों को जोडऩे वाली जीवनरेखा है, जिसका इंतजार ग्रामीण दशकों से कर रहे थे। लेकिन मौके पर चल रहा निर्माण कार्य ग्रामीणों की उम्मीदों को तोडऩे वाला साबित हो रहा है।
निर्माण स्थल पर मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सडक़ को मजबूत बनाने के लिए बेस में अच्छी गुणवत्ता का मुरुम डाला जाना चाहिए, लेकिन ठेकेदार द्वारा पैसे बचाने के लालच में आस-पास के खेतों की मिट्टी खोदकर सडक़ में पाटी जा रही है। जानकारों की मानें तो मिट्टी से बनी यह सडक़ पहली बारिश में ही कीचड़ और गड्ढों में तब्दील हो जाएगी। शासकीय नियमों के अनुसार, सडक़ निर्माण में (वाटर बाउंड मैकॅडम) और जीएसबी लेयर बिछाते समय ‘पेवर मशीन’ का उपयोग अनिवार्य है। पेवर मशीन से सडक़ की मोटाई और सतह एक समान रहती है और सडक़ टिकाऊ बनती है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। ठेकेदार बेखौफ होकर पेवर मशीन की जगह ‘ग्रेडर मशीन’ से ही गिट्टी और मिट्टी फैलाकर खानापूर्ति कर रहा है। इससे न तो सडक़ का कम्पैक्शन सही हो रहा है और न ही फिनिशिंग आ रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि साइट पर क्वालिटी कंट्रोल की कोई व्यवस्था नहीं है और लैब टेस्टिंग नदारद है। यह सब कुछ विभागीय अधिकारियों की कथित मिलीभगत की ओर इशारा करता है। जनता के टैक्स के पैसे (1.99 करोड़) का ऐसा दुरुपयोग देख ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
जब इस भारी अनियमितता के बारे में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर ओपी सिंह से सवाल किया गया, तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि, ठेकेदार को पेवर मशीन लगाने के लिए कहा गया था। मैंने उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा दिया है। ठेकेदार ने मशीन क्यों नहीं लगाई, इसकी जानकारी लेता हूं। किसानों, छात्रों और मरीजों के लिए जीवनदायिनी बनने वाली यह सडक़ अगर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी, तो ग्रामीण चुप नहीं बैठेंगे।
क्षेत्रवासियों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि तत्काल प्रभाव से काम को रुकवाकर तकनीकी जांच कराई जाए और पेवर मशीन के बिना किए गए कार्य को उखाडक़र पुन: निर्माण कराया जाए। तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रेडर मशीन का काम केवल मिट्टी या गिट्टी फैलाना होता है। जबकि, पेवर मशीन सामग्री को एक निश्चित घनत्व और मोटाई में सेट करती है। बिना पेवर के बनी सडक़ पर जब भारी वाहन चलेंगे, तो वह तुरंत दब जाएगी और गिट्टी उखडक़र बाहर आ जाएगी। 2 करोड़ की सडक़ का यह हाल सरकारी खजाने की खुली लूट है।
दो करोड़ की सडक़ चढ़ रही भ्रष्टाचार की भेंट
रोड में ‘मुरुम’ की जगह ‘खेत की मिट्टी’ का हो रहा प्रयोग



