खरसिया। रेलवे स्टेशन का मुख्य द्वार कहें या कि नगर का मुख्य द्वार, यहां अपार गंदगी आपका स्वागत करने के लिए उत्सुक बैठी रहती है, यह आलम महीनों से देखा जा रहा है, परंतु स्टेशन मास्टर से कहने के बाद भी अब तक यह स्थिति न सिर्फ जस की बनी हुई है, वरन दिन-ब-दिन बद से बदतर होती जा रही है। वहीं रेलवे से उतरने वाले तथा अन्य स्थानों पर जाने वाले यात्री नाक-भौं सिकोड़ कर इन रास्तों से चलने पर विवश हैं। अक्सर कहा-सुना जाता है कि मुख्य द्वार पर गंदगी होने से नकारात्मक ऊर्जा आती है, नुकसान होता है और अशांति फैलती है। परंतु नगर के मुख्य द्वार यानी की स्टेशन के मुख्य द्वार से नगर में आने वाले यात्रियों के लिए यह गंदगी अपार दुर्गंध के साथ स्वागत करने को राहों में खड़ी हुई जरूर मिलती है। वहीं टॉयलेट में तो मानो गंदगी ने साम्राज्य ही बसाया हुआ है, टॉयलेट में फैली अपरंपार गंदगी भी लोगों को मुख्य द्वार के पास लघुशंका करने को मजबूर करती है। टिकट बुकिंग हो रेलवे ब्रिज हो या फिर सीनियर सेक्शन ऑफिस, सभी कार्यालयों के सामने भरपूर गंदगी जमा रहती है। स्वच्छता पर ध्यान देने वाली सरकार का उपक्रम रेलवे विभाग ही जब गंदगी सूंघने और गंदगी में चलने लोगों को विवश करता हो, तो फिर क्या किया जा सकता है।



