रायगढ़। किरोड़ीमल शासकीय कला एवं विज्ञान अग्रणी महाविद्यालय रायगढ़ छत्तीसगढ़ में संविधान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में उपरोक्त बातें दिल्ली विश्वविद्यालय से आये प्रो. सौरभ सराफ ने कही। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सोफिया अम्ब्रेला ने कुशल मार्गदर्शन एवं कैप्टन डॉ. शारदा घोघरे के निर्देशन में संविधान दिवस का कार्यक्रम आयोजित हुआ। प्राचार्य डॉ. सोफिया अम्ब्रेला द्वारा समस्त शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक स्टाफ एवं छात्र छात्राओं को संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलायी गयी। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत माता सरस्वती के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्ववलन से की गई। डॉ. अम्ब्रेला ने मुख्य वक्ता के रूप में मोतीलाल नेहरू महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय नई दिल्ली से आये प्रो. सौरभ सराफ का स्वागत अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह गर्व का विषय है कि इस महाविद्यालय के ही पूर्व में छात्र रहे सौरभ आज देश के प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे उदाहरण प्रेरणा के रूप में होते हैं जिन्हें देखकर आगामी जीवन में आपलोगों को भी आगे बढऩे की सीख लेनी चाहिए। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक कैप्टन डॉ. शारदा घोघरे ने रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष की तरह आज भी हम शासन के निर्देशानुसार संविधान दिवस के उपलक्ष्य में यह आयोजन कर रहे हैं। जिसके अंतर्गत शपथ उपरांत भारतीय संविधान में मूल्य, अधिकार, कर्तव्य और उसकी प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि हम अध्ययन अध्यापन से जुड़े हुए लोग हैं इसलिए हमें अपने संविधान के प्रति जागरूक रहकर लोगों को भी अपने अधिकारों, कर्तव्यों के प्रति सचेत होने के लिए जागरूक करना चाहिए। इसके बाद मुख्य वक्ता का व्याख्यान हुआ। उन्होंने अपने व्याख्यान में भारतीय संविधान बनने की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मध्यकालीन समय जिसमें सल्तनत और मुगलकालीन शासकों के हाथ में सत्ता व उसके बाद अंग्रेजों के लगभग 200 वर्षों के शासन को भारतीय जनमानस भोग चुके थे इसलिए स्वतंत्रता के बाद सबसे महत्वपूर्ण कार्य संविधान का निर्माण करना था। संविधान निर्मात्री सभा द्वारा अथक परिश्रम से यह श्रम साध्य कार्य पूर्ण किया गया। जिसमें डॉ. भीमराव अंबेडकर और एम. एन. राय का महत्वपूर्ण योगदान था। प्रो. सौरभ ने संविधान की प्रस्तावना के शब्दों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान भारत के लोगों द्वारा बनाया गया है जिसमें व्यक्ति के अधिकार, कर्त्तव्य के साथ ही राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की चर्चा करते हुए मूल संविधान में नागरिकता के अध्याय के पूर्व बने गुरुकुल परंपरा और हवन के चित्र को रेखांकित किया। साथ मौलिक अधिकारों के पूर्व राम, लक्ष्मण और सीता के रामराज्य की अवधारणा का चित्र व नीति निर्देशक तत्त्वों के अध्याय में अर्जुन को उपदेश देते कृष्ण के चित्र पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संविधान बनाने वालों ने भारतीय सभ्यता , संस्कृति के अनुरूप ही इसका निर्माण किया है और इस संस्कृति को महान बनाने वाले धर्मों , महापुरुषों की जीवन शैली को भी इसमें महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इस अवसर पर धर्म निरपेक्षता या पंत निरपेक्षता के सिद्धांत पर भी उन्होंने चर्चा की। विभिन्न प्रकार के संवैधानिक संशोधनों की चर्चा करते हुए न्यायपालिका की स्वतंत्रता को आज के उदाहरणों से जोडक़र प्रस्तुत किया। भारतीय संविधान के लचीलेपन, समाजवाद तथा व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा को विस्तार से बताते हुए इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय तथा समाज में लिंग, जाति, धर्म इत्यादि के आधार पर समानता मिलना इस संविधान की महत्वपूर्ण विशेषता है। भारतीय संविधान के निर्माण से उसके आज तक के बदलते स्वरूप को उन्होंने अपने व्याख्यान से स्पष्ट किया। इसके उपरांत डॉ. सावित्री अग्रवाल ने अपने विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने कहा कि संविधान द्वारा मिले हुए अधिकारों के बाद भी आजतक वास्तविक समानता प्राप्त नहीं हो सकी है जिसे प्राप्त करना जरूरी है। उन्होंने कविताओं के माध्यम से रोचक शैली में विचार प्रस्तुत किये। अंत में डॉ. शारदा घोघरे ने आभार प्रदर्शन किया। इस आयोजन में प्रो. विनीता पांडेय, डॉ. कपूरचंद गुप्ता, डॉ. सावित्री अग्रवाल, राकेश गिरि, रामनारायण खूंटे, हरिहर मालाकार, डॉ. राजेश कुमार पटेल, अतुल मिश्रा, नारायणी शुक्ला, डॉ. गरिमा तिवारी इत्यादि के साथ ही बड़ी संख्या में छात्र छात्राओं व एनसीसी कैडेट्स की उपस्थिति रही।



