रायपुर। पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगा है। यह आरोप गुमशुदा इंजीनियर मृणाल राय चौधरी के परिजन मनोज राय चौधरी ने लगाया है। आमानाका थाना पुलिस ने 1 जून को गायब हुए इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के शव को लावारिस समझकर दफना दिया था। परिजनों को इस बात की जानकारी छह महीने बाद यानी 2 नवंबर को दी गई। 3 नवंबर को पोस्टमॉर्टम के लिए डेड बॉडी को कब्र से निकाला गया। वहीं इस मामले में परिजनों ने हत्या की आशंका जताई है। इसके अलावा उन्होंने मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। जानकारी के मुताबिक, मृणाल की लाश 2 जून को टाटीबंध इलाके के एक नाले से बरामद हुई थी। बाइक, मोबाइल और पर्स गायब थे। परिजनों ने उसी दिन सिविल लाइन थाना में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। लेकिन पुलिस ने पहचान की कोशिश नहीं की। परिजनों ने बेटे की तलाश में मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, पुलिस अफसरों और मानवाधिकार आयोग तक गुहार लगाई। तब जाकर अब पुलिस ने सूचना दी कि शव को लावारिस मानकर दफना दिया गया था।
मृणाल के पिता मनोज राय चौधरी (83) ने बताया कि वो पिछले छह महीने से बेटे की खोज में थानों के चक्कर काटते रहे। परिवार ने पुलिस की इस लापरवाही पर न्याय की मांग की है और दोषी अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गुहार लगाई है। परिजनों का कहना है कि मृणाल के लापता होने से पहले भीम निषाद नाम के व्यक्ति ने कॉल कर बताया था कि ‘आपका बेटा टाटीबंध में है’। फिर मोबाइल बंद कर दिया। इसके बाद अगली सुबह फिर कॉल आया कि ‘आपका लडक़ा मेरी गाड़ी की चाबी लेकर चला गया है।’ इसके बाद मृणाल से संपर्क नहीं हुआ। वहीं अब पुलिस ने इस पूरे मामले की जानकारी मृतक के परिजनों को दे दी है। ऐसे में पुलिस अब शव को कब्र से निकालकर डीएनए टेस्ट और पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया शुरू कर दी। परिजनों ने बेटे की हत्या का शक जताते हुए पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। फिलहाल, मामले की जांच पड़ताल में जुट गई है।
पुलिस ने लावारिस समझकर दफनाया, इंजीनियर बेटे को तलाशते रहे परिजन
इंजीनियर बेटे को तलाशते रहे परिजन



