प्रो. केशरीलाल वर्मा और डॉ. विनय कुमार पाठक मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित
डॉ. मीनकेतन प्रधान के दो काव्य संग्रह ‘दुनिया ऐसी’ एवं ‘साबुत’ का विमोचन
अमेरिका, डेनमार्क, दुबई, कतर, नीदरलैंड, बुल्गारिया, ब्रिटेन, भारत के साहित्यकारों की कृतियों की हुई विस्तृत समीक्षा
रायगढ़। विश्व हिन्दी अधिष्ठान रायगढ़ (छत्तीसगढ़) एवं देवम् फाउंडेशन बुल्गारिया (यूरोप) के संयुक्त तत्त्वावधान में आज अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी गरिमामय रूप से सम्पन्न हुई। अधिष्ठान के संस्थापक डॉ. मीनकेतन प्रधान के कुशल निर्देशन में आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि द्वय प्रो. केशरीलाल वर्मा, कुलपति, छत्रपति शिवाजी विश्वविद्यालय मुम्बई (महाराष्ट्र) एवं डॉ. विनय कुमार पाठक, कुलपति, थावे विद्यापीठ गोपालगंज (बिहार) रहे। इस अंतर्राष्ट्रीय आयोजन में अधिष्ठान के संस्थापक डॉ. मीनकेतन प्रधान की दो काव्य कृतियाँ ‘दुनिया ऐसी’ व ‘साबुत’ का विमोचन भी किया गया।
दीप प्रज्ववलन से आयोजन की विधिवत शुरुआत हुई। तत्पश्चात डॉ. वंदना कुंवर ने सस्वर सरस्वती वंदना का गान किया। उद्घाटन सत्र में देवम् फाउंडेशन बुल्गारिया की संस्थापक डॉ. मौना कौशिक ने सर्वप्रथम स्वागत उद्बोधन किया। उन्होंने आयोजन में ऑफलाइन व ऑनलाइन संयुक्त रूप से उपस्थित समस्त अतिथियों एवं साहित्यकारों का स्वागत अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि आज का यह आयोजन अपने आप में इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि इसमें विश्व के लगभग 10 अलग-अलग राष्ट्रों के साहित्यकारों की रचनाओं की समीक्षा होने वाली है जो इसके वृहद स्वरूप को खुद ब खुद बयान करता है। उन्होंने डॉ. प्रधान को इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम के आयोजन के लिए शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर आयोजन के मुख्य अतिथि प्रो. केशरीलाल वर्मा का उद्बोधन हुआ।
उन्होंने रायगढ़ (छत्तीसगढ़) में इस प्रकार के बड़े कार्यक्रम के लिए आयोजक मण्डल को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह आयोजन रायगढ़ की साहित्यिक धारा को वैश्विक पटल पर नई पहचान दिलाने में सहायक होगा। उन्होंने डॉ. प्रधान को उनकी काव्य कृतियों के लिए शुभकामनाएं दी। पूर्व में भी रायगढ़ के विभिन्न आयोजनों से जुडऩे की बात को उन्होंने याद करते हुए छत्तीसगढ़ के साहित्यिक जगत् में रायगढ़ के योगदान को निरूपित किया। प्रो. वर्मा के उद्बोधन पश्चात डॉ. विनय कुमार पाठक का उद्बोधन हुआ। उन्होंने इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं देते हुए डॉ. प्रधान के काव्य संग्रह ‘दुनिया ऐसी’ की विशिष्टताओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा रचनाकार की यह कृति नए शिल्प विधान पर आधारित है जो अपने आप में बिल्कुल नवीन और मौलिक है। इसी तरह उन्होंने दूसरे संग्रह ‘साबुत’ की विशेषता बताते हुए उसकी भूमिका पर प्रकाश डाला जहाँ रचनाकार ने साबुत शब्द की व्याख्या की है। डॉ. विनय कुमार पाठक के आयोजन स्थल पर प्रत्यक्ष उपस्थिति से आयोजन की गरिमा वृद्धि हुई। तदुपरांत वरिष्ठ साहित्यकार रमेश चन्द्र श्रीवास्तव जी ने अपने विचार प्रस्तुत किये उन्होंने डॉ. प्रधान के काव्य संग्रह ‘पिता’ की अलग अलग विशेषताओं पर प्रकाश डाला। अंत में मोतीलाल नेहरू महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय में पदस्थ सहायक प्राध्यापक सौरभ सराफ ने उद्घाटन सत्र के अतिथियों और वक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। उद्घाटन सत्र के पश्चात राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय रचनाकारों की विभिन्न रचनाओं की समीक्षा का सत्र आरम्भ हुआ। जिसके अंतर्गत रिश्ते (काव्य संग्रह)- स्व. श्रीमती जय वर्मा (प्रवासी साहित्यकार, ब्रिटेन), रॉन्ग नम्बर- लघुकथा संग्रह- डॉ. वीणा विज ‘उदित’ (प्रवासी साहित्यकार, अमेरिका), संदिग्ध (कहानी संग्रह)- तेजेन्द्र शर्मा (प्रवासी साहित्यकार, ब्रिटेन), नीदरलैंड की चर्चित कहानियाँ’ डॉ. ऋ तु शर्मा अनन पांडे (प्रवासी साहित्यकार, नीदरलैंड), मछुआरे की लडक़ी’ – (कहानी)- डॉ. विनोद कुमार वर्मा (बिलासपुर, छ.ग.), हाई टेक (कहानी संग्रह) डॉ. करुणा पांडे (लखनऊ), कैराली मसाज पार्लर (उपन्यास)- श्रीमती अर्चना पैन्यूली (प्रवासी साहित्यकार, डेनमार्क), ‘बोनसाई’ हाइकु संग्रह- डॉ. अनिल कुमार सक्सेना (दुबई), पिता (काव्य संग्रह)- डॉ. मीनकेतन प्रधान (रायगढ़, छ.ग.) पर विस्तृत विमर्श किया गया। इन रचनाओं की समीक्षा देश विदेश के प्रतिष्ठित विद्वानों समीक्षकों द्वारा की गई। ‘रिश्ते’ काव्य संग्रह की समीक्षा श्री लिंगम चिरंजीव राव (आन्ध्र प्रदेश), ‘रॉन्ग नम्बर’ लघु कथा संग्रह की घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ (भोपाल), ‘संदिग्ध’ कहानी संग्रह की सूर्यकांत शर्मा (दिल्ली) एवं डॉ. रक्षा गीता (दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली), ‘नीदरलैंड की चर्चित कहानियाँ’ की समीक्षा प्रो. सुशील कुमार शर्मा (मिजोरम) एवं दिनेश कुमार माली (ओडिशा), ‘मछुआरे की लडक़ी कहानी’ की समीक्षा डॉ. बेठियार सिंह साहू (जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा,बिहार) एवं सौरभ सराफ (दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली), ‘हाई टेक’ कहानी संग्रह की समीक्षा डॉ. सीमा रानी प्रधान (रायपुर, छत्तीसगढ़) एवं सुश्री शालिनी वर्मा (दोहा, कतर), ‘कैराली मसाज पार्लर’ की समीक्षा प्रो. प्रतिभा मुदलियार (कर्नाटक), डॉ. मुन्ना लाल गुप्ता (महाराष्ट्र) एवं डॉ. बेठियार सिंह साहू (जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा,बिहार), ‘अधजले ठुड्ढे’ कहानी संग्रह की समीक्षा विजय कुमार तिवारी (भुवनेश्वर, ओडिशा), ‘बोनसाई’ हाइकु संग्रह समीक्षा डॉ. जगदीश व्योम (नोएडा) व कमलेश भट्ट ‘कमल’ (नोएडा), ‘मैं मर गया’ कविता संग्रह की समीक्षा डॉ. रमेश कुमार टण्डन (रायगढ़, छत्तीसगढ़), ‘पिता’ काव्य संग्रह की समीक्षा ज्ञानेश्वरी सिंह, यागिनी तिवारी एवं डॉ. मनीष पांडेय (नीदरलैंड) द्वारा की गई। पुस्तक समीक्षा सत्र उपरांत देश के अलग अलग राज्यों के विद्वानों, शोधार्थियों द्वारा शोध पत्र का वाचन भी किया गया जिसमें मुख्य रूप से डॉ. शैली जग्गी, सोनल मावतवाल श्रीवास, डॉ. ज्योति खन्ना, डॉ. अर्चना पांडेय, जानकी साव, अंजनी कुमार, अंजनी कुमार तिवारी ‘सुधाकर’, राजपिन्दर कौर गुंजन, डॉ. लिट्टी योहन्नलाल यामिनी राठौर, डॉ. विकास कुमार, डॉ. पुष्पा कुमारी, प्रमोद झा, मिन्नी मिश्र, डॉ. नितिन उपाध्याय, डॉ. पूनम बाला, डॉ. विशाखा कुमारी आभासी पटल पर उपस्थित रहे। अंत में सरोजनी नौटियाल द्वारा समग्र समीक्षा प्रस्तुत की गई। प्रसिद्ध कथाकार नासिरा शर्मा की गौरवमयी उपस्थिति भी आभासी पटल पर रही। आयोजन में डॉ. हरिहर झा, डॉ. दीपक पांडेय, शशिभूषण पंडा, डॉ. विद्या प्रधान, डॉ. राजेश कुमार दुबे, पंकज रथ शर्मा, अमित सदावर्ती, हरिहर मालाकार, राजेश पटेल, सुमित दुबे, प्रेम सागर एवं आकाश प्रधान की सक्रिय सहभागिता रही।



