रायपुर। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण रोकने वाले कानून का मसौदा तैयार हो चुका है। राज्य सरकार यह कानून जल्द ही लागू करेगी। दरअसल, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में सोमवार को रायपुर में कलेक्टर्स-एसपी कॉन्फ्रेंस हुई। बैठक में धर्मांतरण और चंगाई सभा को लेकर चर्चा की गई। धर्मांतरण और चंगाई सभा को लेकर हुई बातचीत के बाद मंगलवार को डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के खिलाफ बना कानून देश का सबसे सशक्त कानून होगा। इस अधिनियम के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का पालन करने का अधिकार है। इस स्वतंत्रता को लोकतंत्र का प्रतीक माना जाता है। धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के धर्म का अभ्यास करने और उसका पालन करने का अधिकार है। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से बनाए गए संशोधित विधेयक लागू होने के बाद किसी एक धर्म से दूसरे धर्म में जाना आसान नहीं होगा। धर्म परिवर्तन से 60 दिन पहले जानकारी देनी होगी। पूरी प्रक्रिया और नियम-कानून का पालन करने के बाद धर्म बदला जा सकेगा। नियमों का उल्लंघन या जबरिया धर्म परिवर्तन कराने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया जाएगा। बता दें कि राज्य में धर्मांतरण के मुद्दे पर ईसाई समुदाय और हिंदू संगठनों के बीच लगातार टकराव बढ़ता जा रहा है। जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार धार्मिक स्वतंत्रता संशोधन विधेयक बना रही है। बताया जा रहा है कि सरकार संशोधित धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सार्वजनिक कर सकती है। सरकार ने धार्मिक स्वतंत्रता कानून बनाने के लिए ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत 9 राज्यों के अधिनियम की स्टडी की है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने 52 मीटिंग लेकर मसौदा तैयार करवाया है। 5 पेज के ड्राफ्ट में 17 महत्वपूर्ण बिंदू शामिल किए गए हैं। छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में खासकर बस्तर, जशपुर, रायगढ़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आदिवासियों को ईसाई धर्म में शामिल करवाया जा रहा है। यह विवाद का विषय बना हुआ है।