रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले मे एसीबी-ईओडब्ल्यू ने कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू को नोटिस जारी किया है। पार्टी कार्यालय के अकाउंटेंट देवेंद्र डड़सेना की डिटेल में जानकारी मांगी है। देवेंद्र कोषाध्यक्ष राम गोपाल का करीबी था।
एसीबी ने नोटिस में पूछा है कि, देवेंद्र डड़सेना पार्टी कार्यालय से किस जिम्मेदारी में जुड़े थे। उनकी नियुक्ति किसने की थी, उसे कितना वेतन मिलता था। जांच एजेंसी ने संगठन से कर्मचारी की नियुक्ति, कार्यकाल और गतिविधियों का पूरा ब्योरा उपलब्ध कराने कहा है। इस पर मलकीत सिंह गैदू ने कहा कि देश की ऐसी पहली घटना होगी, जहां जांच एजेंसी राजनीतिक दल को प्रताडि़त और तंग कर रही है। राजनीतिक दबाव में कार्रवाई हो रही है। इसके पहले ईडी को लिखित में जवाब दे चुका हूं। मुझे कार्यालय में 9 घंटे बैठाकर रखा गया था।
9 घंटे तक ईडी कार्यालय में बैठाया गया
गैदू ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें तीन बार नोटिस दिया। हर बार उन्होंने लिखित जवाब दिया, लेकिन जवाब देने के समय उन्हें 9-9 घंटे तक ईडी कार्यालय में बैठाकर रखा गया। इससे साफ जाहिर होता है कि भाजपा किस तरह केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि यह देश की पहली घटना है, जब किसी राजनीतिक दल को जांच एजेंसी प्रताडि़त कर रही है। राजनीतिक दबाव में कार्रवाई की जा रही है। पहले कभी किसी राजनीतिक दल को निशाना नहीं बनाया गया था, लेकिन यह देश की पहली निंदनीय घटना है, जिसमें पार्टी को प्रताडि़त किया जा रहा है।
गैदू से पूछे गए सवाल
गैदू ने बताया कि ईडी ने उनसे सुकमा कांग्रेस भवन से जुड़ी जानकारी मांगी थी। एजेंसी ने पूछा था कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी से भवन निर्माण के लिए कितना फंड दिया गया और उसका निर्माण किस तरह हुआ। उन्होंने कहा कि भवन से जुड़ी पूरी फाइल और दस्तावेज लिखित में ईडी को उपलब्ध करा दिए गए थे। इसके बावजूद घंटों बैठाकर पूछताछ करना यह दिखाता है कि केंद्रीय एजेंसियां राजनीतिक दबाव में काम कर रही हैं।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, 28 दिसंबर 2024 को ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश कवासी के घर पर छापेमारी की थी। टीम रायपुर के धरमपुरा स्थित लखमा के बंगले में पहुंची और वहां से गाडिय़ों व दस्तावेजों की तलाशी ली थी। इसके साथ ही लखमा के करीबी सुशील ओझा के चौबे कॉलोनी स्थित घर, सुकमा में हरीश लखमा के आवास और नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू के घर पर भी दबिश दी गई थी। जांच में सामने आया कि शराब घोटाले की कमाई से सुकमा कांग्रेस भवन का निर्माण किया गया। इस मामले से जुड़े कई अहम दस्तावेज ईडी ने जब्त किए हैं।
अब जानिए क्यों अटैच किया गया कांग्रेस भवन ?
ईडी ने दावा किया है कि, शराब घोटाले में भ्रष्टाचार का पैसा कवासी लखमा को मिला है। लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे। इस दौरान 36 महीने में लखमा को 72 करोड़ रुपए मिले। यह पैसे बेटे हरीश कवासी के घर निर्माण और सुकमा कांग्रेस भवन निर्माण में लगे। ईडी के मुताबिक कमीशन के 72 करोड़ में से 68 लाख रुपए से सुकमा में कांग्रेस भवन तैयार किया गया है। शराब घोटाले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। इसके बाद ईडी ने सुकमा में लखमा के मकान और रायपुर के बंगले को भी अटैच किया है। इसके साथ ही कांग्रेस भवन को भी अटैच किया है।
प्रॉपर्टी अटैचमेंट का मतलब क्या ?
अटैचमेंट का मतलब है कि संपत्ति को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया जाता है, लेकिन इसका इस्तेमाल जारी रहता है। आप उस संपत्ति का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन आप इसे बेच नहीं सकते या किसी और को ट्रांसफर नहीं कर सकते। अटैचमेंट एक कानूनी प्रक्रिया है, जो आमतौर पर तब होती है, जब कोई व्यक्ति किसी कानूनी मामले में ऋण चुकाने में विफल रहता है। किसी कांड में भ्रष्टाचार से कमाई गई प्रॉपर्टी होने का आशंका हो तो फैसला आने तक संपत्ति को सुरक्षित रखना जरूरी होता है, इसलिए ये कार्रवाई की जाती है।
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला ?
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ईडी जांच कर रही है। ईडी ने एसीबी में एफआईआर दर्ज कराई है। दर्ज एफआईआर में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। एसीबी ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
कवासी लखमा सिंडिकेट के अहम हिस्सा
कवासी लखमा 16 जनवरी 2025 से जेल में बंद हैं। ईडी का आरोप है कि, पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक कवासी लखमा सिंडिकेट के अहम हिस्सा थे। लखमा के निर्देश पर ही सिंडिकेट काम करता था। इनसे शराब सिंडिकेट को मदद मिलती थी। वहीं, शराब नीति बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे छत्तीसगढ़ में स्नरु-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। लखमा को आबकारी विभाग में हो रही गड़बडिय़ों की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया। शराब सिंडिकेट के लोगों की जेबों में 3200 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध कमाई भरी गई है।
शराब घोटाला : ईओडब्ल्यू ने कांग्रेस को भेजा नोटिस, देवेंद्र की मांगी पूरी जानकारी
गैदू बोले-मैंने 3 बार लिखित में जवाब दिया, मुझे 9 घंटे बैठाकर रखा
