रायगढ़। छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) कर्मचारी, जो 20 वर्षों से स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ बने हुए हैं, आज भी अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर सडक़ों पर हैं। 18 अगस्त से शुरू अनिश्चितकालीन हड़ताल का आज 24वां दिन है, लेकिन सरकार की ओर से केवल आश्वासनों की बौछार और बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है। आज सैकड़ों कर्मचारियों ने तिरंगा झंडा और तख्तियों के साथ जल सत्याग्रह कर सरकार को सद्बुद्धि की प्रार्थना की, नारे गूंजेश्श् रघुपति राघव राजा राम, सरकार को सद्बुद्धि दे भगवान और ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सरकार को सन्मति दे भगवान!

जिले के 500 से अधिक एनएचएम कर्मचारी सरकार की बेरुखी और अडियल रवैये के खिलाफ सडक़ों पर उतरे हुए हैं। कर्मचारियों का कहना है कि कोविड-19 जैसे संकट में जान जोखिम में डालकर जनता की सेवा करने वाले ये ष्स्वास्थ्य योद्धाष् आज भी मूलभूत अधिकारों से वंचित हैं। सरकार की ष्आश्वासन नीतिष् ने 20 महीनों में 170 से अधिक ज्ञापनों को कागजी नाव बना दिया, लेकिन लिखित आदेश का नामोनिशान नहीं। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, वन मंत्री केदार कश्यप जैसे नेताओं के मंच पर दिए वादे और 2023 के चुनावी घोषणा पत्र में ष्मोदी की गारंटीष् भी अब हवा-हवाई लग रही है। प्रशासन ने तो तानाशाह बनते हुए बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू कर दी। जवाब में, कर्मचारियों ने प्रांतीय अध्यक्ष के आह्वान पर सामूहिक इस्तीफे ठोक दिए। हड़ताल के 24 दिन बीतने के बाद भी सरकार की चुप्पी और अडियल रवैया कर्मचारियों के आक्रोश को हवा दे रहा है।



