लैलूंगा। गौरव का क्षण, प्रेरणा का संदेश और शिक्षा के मंदिर से उठती एक ऐसी गूंज जिसने पूरे छत्तीसगढ़ को रोशन कर दिया है। शासकीय प्राथमिक शाला नवामुड़ा, विकासखंड लैलूंगा, जिला रायगढ़ के प्रधान पाठक नन्द किशोर सतपथी को कल राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान केवल एक शिक्षक का नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा परिवार और उन हजारों विद्यार्थियों की मेहनत का है जिन्होंने उनके सानिध्य में शिक्षा का सच्चा अर्थ समझा।
23 साल की सेवा यात्रा, समर्पण की मिसाल
नन्द किशोर सतपथी ने 01 जुलाई 2002 को अपनी सेवा यात्रा की शुरुआत की थी। दो दशक से अधिक के लंबे सफर में उन्होंने बच्चों को सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया। खेल, नैतिक शिक्षा, सांस्कृतिक गतिविधियाँ और आधुनिक शिक्षण पद्धतियों को कक्षा में लागू कर उन्होंने शिक्षा को रोचक और जीवन से जुड़ा बनाया।
क्यों खास हैं नन्द किशोर सतपथी?
एक शिक्षक केवल पढ़ाने वाला नहीं होता, वह बच्चों के भविष्य की नींव गढऩे वाला शिल्पकार होता है। सतपथी ने यह साबित कर दिखाया। सशक्त संचारक बनकर बच्चों को जटिल विषय भी सहजता से समझाए। सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण से हर छात्र को अपनेपन का अहसास दिलाया। अनुकूलनशीलता और नवाचार से शिक्षा को वास्तविक जीवन से जोड़ा। आजीवन सीखने की प्रवृत्ति से विद्यार्थियों को भी नई चीजें सीखने के लिए प्रेरित किया। आज उनके विद्यार्थी केवल अच्छे अंक नहीं ला रहे, बल्कि आत्मविश्वास और जिम्मेदारी से समाज में अपनी पहचान बना रहे हैं।
राज्यपाल पुरस्कार का महत्व
राज्यपाल पुरस्कार किसी भी शिक्षक के लिए सर्वोच्च उपलब्धि मानी जाती है। यह सम्मान इस बात का प्रमाण है कि नन्द किशोर सतपथी ने शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया है। उनके प्रयासों ने न केवल बच्चों की शैक्षणिक प्रगति को नई दिशा दी बल्कि ग्रामीण क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था को भी नई ऊँचाई पर पहुँचाया।
शिक्षा जगत में खुशी की लहर
जैसे ही यह खबर फैली कि नन्द किशोर सतपथी को राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा, लैलूंगा क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। नवामुड़ा स्कूल के बच्चे, अभिभावक, सहकर्मी शिक्षक और ग्रामीण इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनने की तैयारी कर रहे हैं। हर कोई गर्व से कह रहा है कि हमारे गाँव से एक ऐसा शिक्षक निकला जिसने मेहनत, लगन और सेवा भाव से पूरे प्रदेश में अपनी पहचान बनाई।
शिक्षा के सच्चे दीपस्तंभ
नन्द किशोर सतपथी ने साबित किया है कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चों के व्यक्तित्व और भविष्य को गढऩे का सबसे मजबूत माध्यम है। उनकी सफलता उन तमाम शिक्षकों के लिए प्रेरणा है जो शिक्षा को केवल नौकरी नहीं बल्कि समाज सेवा का माध्यम मानते हैं। कल जब राज्यपाल के हाथों उन्हें यह सम्मान मिलेगा, तब लैलूंगा का नाम शिक्षा जगत के नक्शे पर और भी जगमगाएगा। नन्द किशोर सतपथी आज शिक्षा के सच्चे दीपस्तंभ हैं, जिन्होंने यह दिखा दिया कि एक अच्छा शिक्षक ही समाज का असली निर्माता होता है।
शिक्षा जगत में धमाका: लैलूंगा के नन्द किशोर सतपथी को राज्यपाल करेंगे सम्मानित
