रायगढ़। जिले में लंबे समय से लंबित खरसिया रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) का निर्माण एक बार फिर संशय में पड़ गया है। वर्षों से वादों और घोषणाओं के बीच झूलते इस प्रोजेक्ट की अब लोकेशन बदले जाने पर विचार किया जा रहा है। इससे न केवल परियोजना की लागत चार गुना तक बढ़ सकती है, बल्कि इसका क्रियान्वयन और भी लंबा खिंच सकता है।
खरसिया आरओबी की घोषणा वर्ष 2021 में हुई थी। मार्च 2021 में सर्वे और प्रस्ताव इंजीनियर-इन-चीफ को भेजा गया। केंद्र और राज्य सरकार की साझेदारी में बनने वाले इस प्रोजेक्ट के लिए 14 सितंबर 2022 को भूमिपूजन किया गया था। निर्माण कार्य के लिए 64.95 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई थी।
पहला टेंडर मई 2023 में खुला, जिसमें मुंगेली की पंकज अग्रवाल फर्म को ठेका मिला, लेकिन उसने काम शुरू नहीं किया। दूसरी बार टेंडर में केवल एक कंपनी आई, जिसे रद्द कर दिया गया। तीसरे टेंडर में जयपुर की भारत स्पान कंपनी को लगभग 59 करोड़ में काम मिला, लेकिन राज्य सरकार की ओर से एग्रीमेंट की मंजूरी नहीं दी गई। इसके चलते फर्म ने भी प्रयास बंद कर दिए।
अब आरओबी की मूल योजना में बदलाव की खबर है। पहले यह वाय-शेप में हमालपारा बस स्टैंड, रेलवे काउंटर और सब्जी मंडी को जोडऩे वाला था, जिसकी लंबाई 750 मीटर प्रस्तावित थी। लेकिन अब प्रस्ताव है कि यह शहर से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर, मौहापाली क्षेत्र के पास बनाया जाए।
इस निर्णय को लेकर सेतु विभाग, रेलवे और राजस्व विभाग की संयुक्त बैठक हो रही है। नए लोकेशन पर भू-अर्जन की लागत अत्यधिक होगी, जिससे परियोजना की कुल लागत में चार गुना तक वृद्धि होने की आशंका है।
खरसिया आरओबी का भूमिपूजन पिछली सरकार में हुआ, लेकिन शिलान्यास 27 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से किया था। इसके बावजूद राज्य सरकार ने ठेका कंपनी से एग्रीमेंट की मंजूरी नहीं दी, जिससे काम की रफ्तार फिर थम गई।
स्थानीयों की नाराजगी, पारदर्शिता की मांग
लगातार बदलते निर्णयों और टालमटोल से स्थानीय लोगों में नाराजगी है। लोगों का कहना है कि राजनीतिक रस्साकशी के चलते जरूरी बुनियादी ढांचा प्रभावित हो रहा है। वे मांग कर रहे हैं कि इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को शीघ्रता और पारदर्शिता के साथ पूरा किया जाए।
खरसिया आरओबी का भविष्य अधर में !
लोकेशन बदलने की तैयारी से फिर लटक सकता है प्रोजेक्ट
