सारंगढ़। शहर से लगभग 10 किमी दूर है और प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव उत्साही लोगों के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल है। यहाँ पर बहुत से पठारी क्षेत्र है। यह अपनी खूबसूरती को समेटे जिले में पर्यटन की विश्व स्तरीय ढ़ेरों संभावनाओं को बया कर रहा है। साथ ही साथ यहां के दार्शनिक स्थलों की एक अलग पहचान बन चुकी है। उक्त स्थल अपनी खूबसूरती की वजह से प्रदेश के साथ साथ पड़ोसी प्रांत ओडिसा, झारखण्ड, बिहार के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। पर्यटक बारिश के मौसम में पहाड़ों पर बने प्राकृतिक झरना माडो सिल्ली में बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। दरअसल गोमर्डा अभ्यारण्य का माडो सिल्ली जलप्रपात की खूबसूरती देखते ही बनती है। यह करीब 60 से 80 फिट की ऊंचाई से गिरता है जो नीचे आकर अन्य कई छोटे झरने में तब्दील होता है। माडो सिल्ली मार्ग जंगलो के बीच से है। यह घनघोर जंगल की श्रेणी में हैं ।सारंगढ़ क्षेत्र का यह सबसे खूबसूरत पिकनिक स्पष्ट है। यहां पहाड़ो से निकलने वाले झरने और जंगलों के बीच खूबसूरती देखते ही बनती है।हर साल यहां भारी तादाद में पर्यटकों की भीड़ रहती है।
रायगढ़ से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर सारंगढ़ में स्थित गोमर्डा अभ्यारण्य 275 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहां कई प्रकार के जंगली जानवर पाए जाते हैं जैसे तेंदुआ, हिरण, चीतल, जंगली भैसा, नीलगाय, गौर, सांभर, जंगली कुत्ता, मोर, सियार आदि प्रमुख है।
इस स्थल को जंगली सफारी की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। अभ्यारण्य को देखने से ऐसा लगता है कि हम किसी दूसरे देश में आ गए है चूंकि यहां की फिजाएं बेहद खूबसूरत है। दूर दूर तक हरे भरे जंगलों के बीच विचरण करते जंगली जानवर यहां आने वाले लोगों को और अधिक आकर्षित करते है। वन विभाग के देखरेख में गोमर्डा अभ्यारण्य छत्तीसगढ़ ही नही पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना चुका है।
सांरगढ़ में मौजूद गोमर्डा अभयारण्य पर्यटकों के लिए कुछ माह यानी वन्य जीवों के प्रजनन काल के दौरान बंद रहता हैं वही यहां पर्यटकों को परेशानी न हो इसलिए विभाग ने जिप्सी की सुविधा सीधे बैरियर सेदिया जाता है।जबकि पूर्व में सारंगढ मुख्यालय से दिया जाता था जो काफी लंबे दूरी के रूप में नजर आता था। पर्यटक सारंगढ़ के तेंदूझार व टमटोरा हर्रापारा बैरियर तक स्वयं के वाहन से पहुंच सकेंगे। दोनों बैरियर पर दो-दो जिप्सी बुक कर अभयारण्य की सैर कर सकेंगे। इसके लिए पर्यटकों को निर्धारित शुल्क खर्च करने होंगे। जिप्सी 30 किमी घने अभयारण्य में तीन घंटे घुमाएगी। जबकि जिप्सी चालकों को विभाग ने इस काम के लिए प्रशिक्षण भी दिया है। जिसमें पर्यटक
बाइसन, नीलगाय, मोर,भालुओं, चीतल, तेंदुओं एवं अन्य वन्य जीव को नजदीक से देख तथा फोटो ग्राफी भी कर सकेंगे।
गोमर्डा से 10 किमी में माड़ोसिल्ली झरना, रात में ठहरने की भी सुविधा
बरमकेला रेंज के अंतर्गत आने वाले खूबसूरत माड़ोसिल्ली वाटरफॉल की दूरी महज 10 किमी है। गोमर्डा आने वाले पर्यटक जानकारी के अभाव में माड़ोसिल्ली नहीं पहुंच पाते हैं। यहां वन कर्मी सैलानियों से 20 रुपए प्रवेश शुल्क लेते हैं। यहां पर्यटकों को ठहराने के लिए विभाग ने दो रिसॉर्ट बनाए हैं। प्रत्येक कमरे के लिए 400 रुपए चार्ज किया जाता है, लेकिन पर्यटकों को इसकी बुंकिग एक दिन पहले ही करानी होती है। बुंकिग के लिए सारंगढ़ गोमर्डा अभयारण्य कार्यालय में आवेदन किया जा सकता है। जो काफी आसान है।
देश प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाने वाले गोमर्डा अभ्यारण्य में पर्यटकों को बेहतर माहौल व नजारा मिल सके इसके लिए कई इंतजाम किए गए हैं। जिसमे
माडोसिल्ली रेस्ट हाउस में वॉच टावर 30 फीट का बनाया गया है जिसमें लोग ऊपर चढक़र गोमर्डा के हरी-भरी सुंदर वातावरण के साथ वृक्ष देखकर आनंद लेते हैं ऐसा ही नजारा घने जंगलों के बीच इस अभ्यारण के अंदर खापान जलाशय है जहां 10 से 15 फीट की ऊंची पत्थर से टकराते हुए झरना बहती चली जाती है इसी तरह नगर से कुछ ही 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर थीपा झरना है जहां पहुंच रहे हैं और पानी पत्थरों से बहती चली जा रही है। ऐसी ही झरने जो अपनी मनोरम दृश्य और खूबसूरती से पर्यटनको को लुभा रही है।