रायगढ़। घरघोड़ा स्थित पीएम आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय में प्रभारी प्राचार्य के खिलाफ एनएसयूआई ने गंभीर और चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं। संगठन का कहना है कि प्रभारी विद्यालय को अपनी मनमानी और तानाशाही से संचालित कर रहे हैं। हिंदी माध्यम में प्रवेश को लेकर अघोषित रोक लगा दी गई है और गरीब, ग्रामीण छात्रों से शासकीय नियमों के विरुद्ध इंटरव्यू लेकर उन्हें यह कहकर अपमानित किया जा रहा है कि वे ‘स्कूल के योग्य नहीं हैं’। यह न केवल शिक्षा के मूल अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक न्याय के विरुद्ध एक सीधा प्रहार भी है। ऐसे कई छात्र हैं जिन्हें इंटरव्यू के बाद बिना प्रवेश दिए उल्टे पांव लौटा दिया गया है इस तरह के रवैये पर आपत्ति जताते हुए एनएसयूआई ने प्रभारी प्राचार्य को हटाने की मांग की है।
एनएसयूआई ने ज्ञापन में बताया है कि अंग्रेजी माध्यम में पढऩे वाले शैक्षणिक रूप से कमजोर बच्चों को चिह्नित कर उनके पालकों को बुलाया जा रहा है और उन्हें विद्यालय से टीसी लेने के लिए मानसिक रूप से मजबूर किया जा रहा है। यह रवैया न केवल अमानवीय है, बल्कि शासन की समावेशी शिक्षा नीति के भी विपरीत है। एक प्राचार्य का दायित्व छात्रों को मार्गदर्शन देना होता है, न कि उन्हें संस्थान से बाहर करने की कोशिश करना। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या आत्मानंद स्कूल अब केवल चयनित वर्ग के लिए आरक्षित संस्थान बनते जा रहे हैं?
सबसे गंभीर तथ्य यह है कि 08 सितंबर 2023 को ही जिला शिक्षा अधिकारी रायगढ़ द्वारा प्रभारी प्राचार्य की प्रतिनियुक्ति समाप्त करने की अनुशंसा लोक शिक्षण संचालनालय को भेजी जा चुकी है, बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। एनएसयूआई का आरोप है कि प्रभारी प्राचार्य ‘पहुंच’ और ‘पैसे’ के बल पर कार्रवाई से बचते आ रहे हैं और अब भी उसी अहंकारी रवैये के साथ विद्यालय चला रहे हैं। संगठन ने 10 दिन के भीतर कार्रवाई की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो घरघोड़ा में उग्र जनआंदोलन होगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
आत्मानंद स्कूल घरघोड़ा बना तानाशाही का अड्डा!
एनएसयूआई ने प्रभारी पर लगाया गरीब छात्रों से भेदभाव का आरोप
