सारंगढ़। ग्रामीण इलाकों में महुआ शराब अब सिर्फ नशा नहीं, बल्कि युवाओं की जान की सबसे बड़ी दुश्मन बनती जा रही है। क्षेत्र के अधिकांश गांवों में यह जहरीली शराब खुलेआम बेची और परोसी जा रही है। सबसे गंभीर बात यह है कि – यह शराब अब पारंपरिक तरीके से नहीं, बल्कि महज एक से दो दिन में हानिकारक और जहरीले रसायनों को मिलाकर तैयार की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, शराब बनाने वाले लोग अब शुद्ध महुआ किण्वन की जगह रासायनिक तत्वों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे यह शराब जल्दी तैयार हो जाती है, पर इसके सेवन से युवाओं की जान पर बन आती है?। पिछले कुछ सालों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें युवाओं की मौत महुआ शराब पीने के बाद हुई। ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को यह सस्ती शराब आसानी से उपलब्ध हो जाती है। नशे की लत और बेरोजगारी के चलते वे इसकी गिरफ्त में आते जा रहे हैं।
विदित हो कि – 30 से 40 वर्ष की आयु के युवा सबसे ज्यादा इसकी चपेट में आ रहे हैं। इस जहरीली शराब ने सिर्फ जानें ही नहीं ली हैं, बल्कि कई परिवारों को तबाह कर दिया है एक ओर युवाओं की सेहत पर इसका बुरा असर पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर गांवों में सामाजिक ताना-बाना भी बिगड़ता जा रहा है। समय रहते अगर इस पर कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में यह नशे की लत एक बड़े सामाजिक संकट का रूप ले सकती है। प्रशासन, पुलिस और समाज सभी को मिलकर इस ज़हर के खिलाफ आवाज उठानी होगी, ताकि हमारे गांवों के युवा जीवन की ओर लौट सकें।
जहरीली महुआ शराब से उजड़ रहे हैं लोगों के घर
