रायपुर। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर प्रदेश के कोने-कोने में श्रद्धालुओं का उत्साह देखने को मिल रहा है. सुबह से मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के दर्शन कर आशीर्वाद लेने श्रद्धालुओं की कतार लगी हुई है। ओडिसा की सीमा से लगे देवभोग के ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर में आज सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी हुई है. 1901 से इस मंदिर भगवान जगन्नाथ की एकल दधी ब्राह्मण नील माधव स्वरूप का पूजन होता है. 18वीं शताब्दी से मूर्ति यहां विराजमान है, जिसे पुरी से लाया गया था. इसलिए आज भी पुरी में होने वाले हर रिवाज को निभाया जाता है.
मान्यता है कि जो भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पुरी नहीं जा पाते, उन्हें देवभोग में जगन्नाथ जी के दर्शन मात्र से पुरी में मिलने वाले पुण्य लाभ मिलता है. मंदिर छोड़ बाहर निकले भगवान का पूजन-अर्चन का सिलसिला दोपहर तक चलेगा. शाम 4 बजे बाद भगवान रूथारूढ़ होकर मौसी के घर जाएंगे.
115 साल पुराना है पिथौरा का मंदिर
देवभोग की तरह महासमुंद में भी सुबह से भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की धूम मची हुई है. सुबह से पिथौरा नगर स्थित प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. जानकारों के मुताबिक, पिथौरा का भगवान जगन्नाथ मंदिर लगभग 115 वर्ष पुराना है. आज भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलदाऊ और बहन माता सुभद्रा के साथ रथ में सवार होकर मौसी के घर जाएंगे, जहां वे 15 दिनों तक विश्राम करेंगे.
देवभोग में होता है भगवान के नील माधव स्वरूप का पूजन
दर्शन मात्र से मिलता है पुरी का पुण्य लाभ
