सुकमा। छत्तीसगढ़ शासन के इतिहास में प्रथम दफा सुकमा से छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में स्थान मिला है,सुकमा जिले के पाकेला ग्राम की निवासी अधिवक्ता दीपिका शोरी को छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग का सदस्य बनाया गया है जहां छत्तीसगढ़ शासन ने दीपिका पर भरोसा कर उन्हें यह दायित्व सौंपा है वहीं दीपिका ने भी उस दायित्व का पूर्ण ईमानदारी से निर्वहन करते हुए पूरे सुकमा जिले के साथ साथ सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में अपनी उपस्थिति दे कर महिला आयोग के कार्यों को जन जन तक पहुंचाने का कार्य कर रही हैं,जबसे उन्हें यह दायित्व मिला है वो सुकमा जिले के अति संवेदनशील ग्रामों में भी जाकर महिला आयोग के महत्त्व को महिलाओं को समझाया है सुकमा जिला में महिला साक्षरता बहुत कम है परंतु इतने कम समय में भी दीपिका ने महिलाओं को जागरूक करने में सफलता हासिल किया है जिसके प्रतिफल स्वरूप अब सुकमा जिले के साथ साथ पूरे बस्तर संभाग की महिलाएं आयोग की सदस्य अधिवक्ता दीपिका शोरी के सुकमा निवास आकर अपनी व्यथा बता कर न्याय हेतु गुहार लगा रही हैं।
इसी क्रम में सुकमा जिले के एर्राबोर की निवासी एक महिला जिसके पति जो शासकीय कर्मचारी है उसने उसे एक वर्ष तक अपने पास रखा उसके पश्चात दूसरी महिला से विवाह कर लिया,पीडि़त महिला ने कोर्ट में अपने मामले को देकर 20 हजार रु मासिक गुजारा भत्ता या साथ रहने की मांग की परन्तु वकील एवं उसके पति ने उसके अनपढ़ होने का लाभ उठाते हुए उसे मात्र 5 हजार का भत्ता देने हेतु कोर्ट से आदेश पारित करवाया ठगी गई इस महिला ने सुशासन तिहार के समाधान शिविर में आयोग की सदस्य दीपिका के भाषण के दौरान सुना था कि ऐसी कोई भी मजलूम महिला जो शोषित हो रही है सम्पर्क करें आयोग के माध्यम से उसे न्याय मिलेगा तब इस महिला ने आयोग के माध्यम से गुजारा भत्ता 20 हजार करने या साथ रहने हेतु निवेदन किया है। ऐसी ही एक महिला ने जिसे उसके पति ने छोड़ दिया है वो अपने बच्चों को हक दिलाने हेतु आयोग के समक्ष निवेदन किया है।
प्रत्येक महिला को जागरूक कर पीडि़त को न्याय दिलाना मेरा दायित्व : दीपिका
इस विषय में जब हमने छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की सदस्य अधिवक्ता दीपिका शोरी से बात की तो उन्होंने कहा कि महिला आयोग के विषय में बस्तर की प्रत्येक महिला को जागरूक कर पीडि़त को न्याय दिलाना मेरा दायित्व है,मुझे संगठन ने बहुत ही विस्वास से यह पद दिया है तो मेरा भी कर्तव्य है कि मैं इस पद को जीवंत करूँ व जन जन तक आयोग के कार्य को,महिलाओं को उनके हक एवं अधिकार के प्रति जागरूक कर एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर पाऊं जहाँ कोई महिला शोषित न हो पीडि़त न हो और प्रत्येक परिवार खुशहाल होकर अपना जीवन व्यतीत कर सकें।
आयोग सदस्य के निवास पहुंच कर पीडि़त महिलाएं बता रही अपनी व्यथा
सुकमा में बढ़ रहा आयोग पर विस्वास
