रायगढ़। जिला शिक्षा विभाग की अनदेखियों के कारण शहर के निजी स्कूल प्रबंधनों और शिक्षकों की मनमानियां लगातार बढ़ती ही जा रही है। पिछले कुछ सालों में ऐसे कई मामले सामने आने के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारियों की मौन स्वीकृति की वजह से निजी स्कूल प्रबंधनों और क्लास टीचरो का आतंक खासकर फीस को लेकर काफी बढ़ गया है।
निजी स्कूल के शिक्षक फीस को लेकर पूरी क्लास के सामने पीडि़त बच्चों को अपमानित करने से नही चूक रहे हैं। जबकि वे भली भांति जानते है कि उन बच्चों का फीस उनके माता-पिता पटाते हैं, फिर भी बच्चों को पूरे क्लास रूम के सामने प्रताडि़त किया जा रहा है। आम तौर पर निजी स्कूल प्रबंधन और उसके शिक्षक शिक्षा निदेशालय के उस आदेश की खुले आम अवहेलना करते है,जिसमे यह स्पष्ट किया है,कि निजी स्कूल के शिक्षक और प्रबंधन बच्चो को प्रताडि़त या अपमानित नही करेगा। ऐसा करता पाए जाने पर कानूनी कार्यवाही के अलावा स्कूल का पंजीयन भी निरस्त किया जा सकता है।
ऐसा नहीं है कि उन क्लास टीचरों के पास उन बच्चों के अभिभावकों का मोबाइल नंबर नहीं है यदि उनको इतनी ही जल्दी है तो उनके अभिभावकों को फोन करना चाहिए ना कि बच्चों को प्रताडि़त या अपमानित करना चाहिए।
शहर के कुछ प्राइवेट स्कूल बच्चों की फीस के लिए बच्चों के साथ क्लासरूम में फीस पटाने को लेकर गलत व्यवहार किए जाने की जानकारियां सामने आ रही हैं। यहां बच्चों के साथ हुए गलत व्यवहार को बच्चे अपने पालकों को बता भी रहे हैं। इधर पालक इस भय से कि स्कूल प्रबंधन उनके बच्चों का अहित न कर दें,कहकर घटना की शिकायत कहीं नहीं कर पा रहे हैं।
जिसका फायदा कुछ प्राइवेट स्कूल के टीचर उठा रहे हैं लेकिन इस गलत व्यवहार को लेकर आखिर कोई न कोई पालक तो सामने आएगा ही। तब शायद जिला प्रशासन और शिक्षा अधिकारी ऐसी घटनाओं को संज्ञान में लेकर ऐसे प्राइवेट स्कूल के टीचर और प्रिंसिपल के विरुद्ध कार्यवाही भी करेंगे।
तब तक स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि स्कूल फीस को लेकर वो अपने यहां अध्यनरत उन छोटे-छोटे बच्चों के साथ गलत व्यवहार न करें कि उनके बाल मन पर कोई गलत प्रभाव पड़े।
शिक्षा विभाग की मौन स्वीकृति से निजी स्कूल प्रबंधन की मनमानियां बढ़ी
स्कूल फीस को लेकर निजी स्कूल के शिक्षकों द्वारा छात्रों को अपमानित करने की कई घटनाएं सामने आई हैं
