सारंगढ़। जिला भाजपा कार्यालय में रानी अहिल्या बाई होलकर की 300 वीं जन्म जयंती जिला स्तर पर मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला पंचायत अध्यक्ष संजय भूषण पांडे ने की, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला भाजपा अध्यक्ष ज्योति पटेल, वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ भाजपा नेता जगन्नाथ केशरबानी, जुगल केशरवानी अरुण यादव गुड्डू, अवधेश ठेठवार, निखिल केसरवानी के द्वारा जिला स्तरीय रानी अहिल्याबाई होल्कर का 300 वीं जन्म जयंती मनाई गई। एक कार्यक्रम में जिले के लगभग सैकड़ो भाजपा नेता उपस्थित रहे जिला पंचायत अध्यक्ष संजय भूषण पांडे ने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 मई 1725, चौंडी गाँव, हैदराबाद अहिल्यानगर जिला, महाराष्ट्र, भारत में हुई। उनकी मृत्यु 13 अगस्त 1795, इंदौर, भारत में हुई। 1767 से 1795 तक मराठा संघ के एक भाग मालवा क्षेत्र की शासक थीं। वह उस युग में भारतीय राजनीति का नेतृत्व करने वाली कुछ महिलाओं में से एक हैं। सती प्रथा के खिलाफ शंखनाद करने वाली पहली महिला अहिल्याबाई रही, उन्होंने भारतीय भग्नावशेष मंदिरों को नव्य स्वरूप प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई। काशी विश्वनाथ, सोमनाथ जैसे न जाने कितने प्राचीन मंदिरों का पुनर्स्थापना अहिल्याबाई होल्कर ने की थी। भारतीय राजनीति में अहिल्याबाई होलकर एक ऐसी अपराजिता योद्धा रही जिन्होंने मां भारती के सम्मान के लिए अपने आप को समर्पित कर दी।
जिला भाजपाध्यक्ष ज्योति पटेल ने कहा कि : बात
1754 में कुंभेर की घेराबंदी के दौरान युद्ध में तोप की आग से खंडेराव की मृत्यु हो गई थी। उस समय की परंपराओं के अनुसार अहिल्याबाई को सती होना चाहिए था, हिंदू धर्म में एक प्रथा है जिसके तहत विधवा को अपने पति की चिता में खुद को जिंदा जलाना पड़ता है लेकिन मल्हार राव ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया, जिन्होंने उन्हें राज्य कौशल और युद्ध कौशल का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने उनकी ओर से सैन्य अभियान चलाए और एक प्रशिक्षित तीरंदाज बन गईं। जब मल्हार राव अभियान पर थे, तब उन्होंने राज्य के मामलों को भी संभाला। मल्हार राव और अहिल्या बाई के बीच आदान-प्रदान किए गए पत्रों से उनकी क्षमताओं और ज्ञान का पता चलता है। रानी अहिल्याबाई होलकर मां भारती की वह वीरांगना रही, जिन्होंने देश के सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीति के साथ ही साथ सभी क्षेत्रों में अपना परचम लहराया था। मंच को जगन्नाथ केशरवानी जुगल केशरवानी के साथ ही साथ अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।
रानी अहिल्याबाई होलकर की मनाई गई 300 वीं जयंती
