बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे अपने समृद्ध अतीत और शानदार विरासत को सहेजने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है। इसी श्रृंखला में बिलासपुर मुख्यालय परिसर में स्थापित किया गया 114 वर्ष पुराना नैरोगेज स्टीम इंजन आज भी एक ऐतिहासिक प्रतीक के रूप में गौरव का विषय है। यह इंजन न केवल रेलवे के सुनहरे इतिहास की याद दिलाता है, बल्कि आगंतुकों को उस युग से रूबरू कराता है जब भाप से चलने वाले इंजन देश की प्रगति का आधार थे। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे मुख्यालय में स्थापित स्टीम लोको की विरासत व विशेषताएँ निर्माण वर्ष- 1907 यह इंजन नॉर्थ ब्रिटिश कंपनी, ग्लासगो (इंग्लैंड) द्वारा निर्मित किया गया था, जो उस समय विश्व की अग्रणी लोकोमोटिव कंपनियों में से एक थी।
यह स्टीम लोकोमोटिव भारतीय रेलवे के प्रारंभिक मालवहन इतिहास का हिस्सा रहा है। इसका उपयोग बंगाल नागपुर रेलवे में चावल ढोने वाली मालगाडिय़ों में किया जाता था। आखिरी सेवा वर्ष- 1956 लगभग आधी सदी तक सेवा देने के बाद यह इंजन 1956 में सेवानिवृत्त हुआ। अंतिम देखरेख- स्टीम लोकोशेड, आद्रा इंजन का रखरखाव पश्चिम बंगाल के आद्रा स्थित ऐतिहासिक लोकोशेड में होता था। पुनर्नवीनीकरण एवं स्थापना- 2021 इसे 2009 में भिलाई शेड लाकर, सुंदर रंग-रोगन एवं मरम्मत के बाद 29 जून, 2021 को बिलासपुर मुख्यालय परिसर में प्रतिस्थापित किया गया।
वर्तमान स्वरूप एवं महत्व- इंजन को एक सुंदर चबूतरे पर स्थापित कर उसके चारों ओर हरियाली और विशेष लाइटिंग व्यवस्था की गई है, जिससे यह एक शानदार दर्शनीय स्थल बन गया है। इसके समीप स्थापित की गई पुरानी स्टीम क्रेन भी इस ऐतिहासिक माहौल को और अधिक सजीव बनाती है। यह प्रयास न केवल एक इंजीनियरिंग विरासत को सहेजने का माध्यम है, बल्कि रेलवे की विरासत शिक्षा का एक जीवंत उदाहरण भी बन चुका है। यह पहल भविष्य की पीढिय़ों को रेलवे के स्वर्णिम अतीत से जोडऩे के लिए की गई है, ताकि वे जान सकें कि कैसे भाप इंजन जैसे नवाचारों ने देश को गति दी और कैसे रेलवे की विरासत आज भी हमारे दिलों में जीवित है। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे इस विरासत को गौरवपूर्वक प्रस्तुत करता है और आम जनता, स्कूली छात्रों, शोधकर्ताओं व आगंतुकों से आग्रह करता है कि वे आकर इस ऐतिहासिक धरोहर का अवलोकन करें और रेलवे के गौरवशाली इतिहास से जुड़ें।
रेलवे की विरासत का जीवंत प्रतीक
रेलवे मुख्यालय में स्थापित नैरोगेज स्टीम इंजन
