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NavinKadam > सारंगढ़ > भागवत कथा सुनने से ही मोक्ष की होती है प्राप्ति : पंडित नवल किशोर तिवारी
सारंगढ़

भागवत कथा सुनने से ही मोक्ष की होती है प्राप्ति : पंडित नवल किशोर तिवारी

lochan Gupta
Last updated: January 17, 2025 11:31 pm
By lochan Gupta January 17, 2025
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7 Min Read

भटगांव। नगर भटगांव के रंग मंदिर ब्राम्हण पारा मे संगीतमय श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिवस गोड़म से आये कथा वाचक पंडित नवल किशोर तिवारी ने गोकणोपख्यान का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि तुंगभंगा नदी किनारे एक गांव था वहा पर आत्म देव नाम का एक ब्राम्हण और उसकी पत्नी धुंधली रहती थी आत्म देव तो सज्जन था लेकिन उसकी पत्नी दुष्ट प्रवृति की थी। आत्म देव बहुत उदास रहता था क्योकि उसको कोई संतान नही हो रहा था। और बहुत बार उसने आत्महत्या करने की भी कोशिश किया लेकिन सफल नही हो पाया, लेकिन एक दिन हताश होकर जंगल की तरफ आत्म हत्या करने निकल गए आत्म देव, रास्ते मे उन्हे एक ऋ षि जी मिले और फिर आत्म देव ऋ षि जी से मिले और फिर आत्म देव ऋ षि को अपनी कहानी सुना कर रोने लगा और उपाय पूछने लगा ऋ षि ने कहा मेरे पास अभी तो ऐसा कुछ नही की जिससे मै तुम्हें कुछ दे पाऊं, लेकिन आत्म देव ने बताया की उसकी गाय को कोई बच्चा नही हो रहा है और जब आत्म देव ऋ षि को बार बार बोलने लगा तो ऋ षि ने उसे एक फल दिया और उसकी अपनी पत्नि को खिलाने को कहा और कहा की एक साल तक तुम्हारी पत्नी को सात्विक जीवन जीना पड़ेगा। आत्म देव वह फल लेकर खुशी खुशी घर वापस आकर सारी बात धुंधली को बताता है और उसको वो फल खाने को देता है। लेकिन धुंधली सोचती है अगर बच्चा हुआ तो उसको बहुत कष्ट का सामना करना पड़ेगा यही सोच कर वह उस फल को नही खायी और जाकर सारी बात अपनी छोटी बहन को बताई तो उसकी बहन ने उसे एक रास्ता बताया और कहा की मै गर्भवती हू और मुझे बालक होने वाला है तू ही लेना उसको और उस फल को गाय को खिला दे इससे उस ऋ षि की शक्ति का भी पता चल जायेगा। धुंधली ने ऐसा ही किया। और अपने पति आत्म देव के सामने गर्भावस्था का नाटक करने लगी और कुछ दिन बाद जाकर अपने बहन से बच्चा लेकर आ गयी। आत्म देव बहुत खुश हुआ खुशियां मनाई और उस बच्चे का नाम ब्रम्हादेव रखना चाहा लेकिन धुंधली ने फिर झगड़ कह उसका नाम धुंधुकारी रखा। और धुंधली ने जो फल गाय को खिलाये थे उसके भी गर्भ से मनुष्य का बालक हुआ जिसके कान लम्बे लम्बे थे इसलिए उसका नाम आत्म देव ने गोकर्ण रखा। दोनो बड़े हो गए जिसमे धुंधकारी दुष्ट व चाण्डाल प्रवृति का था तो गोकर्ण सरल स्वभाव का था। धुंधकारी सारे गलत काम करता एक दिन तो उसने अपने पिता आत्म देव की ही पिटाई कर दी। आत्म देव बहुत दुखी हुआ और अपने दुखी पित्त को देख गोकर्ण उनके पास आया और उनका वैराग्य जीवन जीने के लिए कहा। और कहा की संसार मे हम बस भागवत दृष्टि रखकर ही सुखी हो सकते है। गोकर्ण की बात मानकर आत्म देव गंगा के किनारे आकर भागवत के दशम स्कंध का पाठ करने लगे थे और उसी जीवन मे उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति हो गयी थी। समय बीतता गया और एक दिन धुंधली भी धुंधकारी के अत्याचारों को देख दुखी होकर एक कुएं मे कूद कर आत्महत्या कर ली। अब धुंधकारी एकदम ही अत्याचारी और दुष्कर्म वाला इंसान बन गया था। वह वैश्यों के मांगो के लिए चोरी करता और एक दिन तो उसने राजा के यहां डाका डाल दिया सभी वेश्याएं सोची अगर ये जिन्दा रहा तो एक दिन हमको भी मरवा देगा। यह सोच कर उन लोगो ने धुंधकारी को बांध कर उसको जलती हुई आग मे उसका मुख डालकर तड़पा कर मार डाला। बुरे प्रवृति के होने की वजह से धुंधकारी प्रेत बन गया और वह अपने भाई गोकर्ण को डराने लगा। हालाकि गोकर्ण ने अपने भाई का श्राध्द गया जाकर किया था लेकिन धुंधकारी को फिर भी मुक्ति नही मिली। वह गोकर्ण को डराने के कोशिश करता लेकिन गोकर्ण गायत्री मंत्र का जाप करता तो धुंधकारी उसके पास नही जा सकता था। गोकर्ण ने जब कहा कि मैने तो तुम्हारा पिंडदान कर दिया हूँ फिर भी तुम प्रेत बन घूम रहे हो तो धुंधकारी बोलता है कि मैने इतना पाप किया है पिंडदान से मेरा मुक्ति नही होगा। तब गोकर्ण ने सभी विद्यानो से राय लिया और सूर्या देवता को नमन कर इसका उपाय पूछा तब सूर्य देव ने कहा की इसको मोक्ष की प्राप्ति भागवत कथा सुनने से ही होगी। गोकर्ण ने भागवत कथा का आयोजन किया और धुंधकारी एक बास पर जाकर छिप कर बैठ गया वहां पर सात गांठ था वो वही जाकर बैठा था। बहुत से लोग सात गांठ का बांस लगते है भागवत कथा की ऐसा मानता है की अगर परिवार का कोई सदस्य भूत हो गया है तो ऐसे अवश्य लगानी चाहिए। पहले दिन कथा मे पहला गांठ का भेदन हुआ ऐसे ही दूसरे दिन दूसरे मे ऐसे करके सातों गाठों का भेदन हो गया। धुंधकारी दिव्य रूप धारण कर प्रकट हो गए और उनको लेने भगवान स्वयं आये। भागवत कथा बहुत लोगो ने सुनी होगी मगर धुंधकारी को स्वयं भगवान लेने क्यो आये बहुत कम लोग जानते होंगे। इसका वजह यह है कि धुंधकारी ने पूरी भागवत कथा श्रध्दा तथा प्रेम भाव से सुना। जहा नगर मे चल रहे संगीतमय श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के मुख्य यजमान के रूप मे जीधन बृहस्पति देवांगन व अरूण बिंदू साहू है।

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