खरसिया। भगवान भास्कर की आराधना के लिए छठ महापर्व की तैयारियां शुरू हो गई हैं। वहीं श्रद्धालुओं ने तन और मन की पवित्रता को लेकर नहाए-खाए के साथ पर्व का विधिवत अनुष्ठान किया है। घर-घर में ठेकुआ का प्रसाद निर्मित हो रहा है, जो छठी मैया का विशेष प्रसाद माना जाता है।
छठ पूजा समिति के संरक्षक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि 4 दिनों तक आस्था के महापर्व के लिए श्रद्धावान महिला एवं पुरुषों के द्वारा सात्विक विचारधारा एवं पूर्ण निष्ठा से भगवान भास्कर की आराधना की जाएगी। वहीं बताया कि एक मात्र यही पर्व है जिसमें सूर्यदेव को देवी के रूप में पूजा जाता है। मूलत: बिहार से प्रारंभ छठी मैया की आराधना का यह महापर्व व्यापक रूप से सिर्फ भारत ही नहीं वरन् विश्व भर में मनाया जाता है। मंगलवार को नहाए-खाए, बुधवार को खरना एवं गुरुवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को प्रथम अर्घ्य देकर निराहार रहते हुए शुक्रवार को प्रात: उदयीमान भगवान भास्कर को द्वितीय अर्घ्य प्रदान कर श्रद्धालुओं द्वारा छठी मैया से मनोकामना पूर्ति के लिए वरदान मांगा जाएगा।
नहाय-खाए के साथ लिया व्रत का संकल्प
छठ व्रत नहाय खाए से प्रारंभ हो जाता है। इसका नाम नहाय खाए इसलिए रखा गया कि उपवास के साथ ही पूजा-पाठ के लिए इस दिन से विशेष सर्तकता बररनी शुरू हो जाती है। नहाय खाए पर छठ व्रती चावल और लौकी की सब्जी खाते हैं और व्रत का संकल्प लेते हैं। वहीं दूसरे दिन शाम को खरना के साथ उपवास प्रारंभ हो जाता है। ऐसे में छठ व्रती दिन भर निर्जला उपवास करके शाम को सूर्य भगवान की उपासना कर रोटी और गुड़ की खीर का प्रसाद बनाते हैं। नहाय खाय के रात में छठ व्रती पानी पीते हैं, उसके बाद खरना की देर शाम प्रसाद के साथ ही पानी ग्रहण करते हैं। याने खरना का उपवास भी 12 घंटे से अधिक का हो जाता है। वहीं खरना की रात के बाद फिर करीब 24 घंटे का कठिन उपवास शुरू होता है।
नहाए खाए से प्रारंभ हुई छठी मैया की आराधना
घर-घर बनने लगा ठेकुआ का प्रसाद
