सुश्री वाणी राव ने दी शास्त्रीय गायन की मनमोहक प्रस्तुति
39 वें चक्रधर समारोह में विख्यात शास्त्रीय गायिका भोपाल की सुश्री वाणी राव ने अपनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति से श्रोताओं को मोहित कर दिया। आज उनकी शास्त्रीय गायन में भगवान गणेश वंदना के पश्चात पूरिया धनाश्री में बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल की प्रस्तुति ने समारोह में आध्यात्मिक और सांगीतिक माहौल बनाया।वाणी राव ने पारंपरिक रागों की खूबसूरत प्रस्तुति दी उनके सुरों की सादगी और भावप्रवणता ने समारोह में उपस्थित संगीत प्रेमियों का मन मोह लिया।
चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी
पद्मश्री रंजना गौहर ने कबीर के जीवनी पर दी ओडिसी नृत्य की सजीव प्रस्तुति
भक्तिकाल के महान कवि कबीर का जीवन नृत्य विधा के जरिए आज चक्रधर समारोह के मंच पर तब सजीव हो उठा जब पद्मश्री रंजना गौहर ने ओडिसी नृत्य के माध्यम से उनकी जीवन यात्रा को दिखाया। रहस्यवादी कवि कबीर के अपने माता नीमा और पिता नीरू से संवाद और उनके जीवन के अलग अलग पड़ावों, उनकी सीख और अनुभवों को पद्मश्री रंजना गौहर और उनके साथी कलाकारों ने नृत्य मुद्राओं से रोचक तरीके से प्रस्तुत किया। कबीर के दोहों और भजन पर सुरमयी और लयबद्ध प्रस्तुति देखना दर्शकों के लिए अद्भुत अनुभव रहा। श्रीमती रंजना गौहर को ओडिसी नृत्य के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए 2003 में प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वह भारत के राष्ट्रपति से 2007 में राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी हैं। वे ख्यातिप्राप्त नृत्यांगना होने के साथ ही प्रसिद्ध पटकथा लेखक, कोरियोग्राफर और फि़ल्म निर्मात्री भी हैं। उनका जन्म दिल्ली में हुआ,बचपन में कथक सीखने के बाद उन्होंने मणिपुरी नृत्य सीखा और ओडिसी नृत्य से साक्षात्कार होने पर उन्होंने अपना जीवन इसी नृत्य शैली को समर्पित कर दिया। उन्होंने डॉक्यूमेंट्रीज बनाकर ओडिसी नृत्य को पूरे देश में विशिष्ट पहचान दिलाई। मिले। उन्होंने अपनी किताब ओडिसी, ‘द डांस डिवाइन’ में ओडिसी नृत्य की बारीकियों को बताया है। ‘ओडिसी’ ओडिशा राज्य की एक शास्त्रीय नृत्य शैली है। इस शैली का जन्म मंदिर में नृत्य करने वाली देवदासियों के नृत्य से हुआ था।
दीपान्निता सरकार के कथक ने बांधा समा
दिल्ली से पहुंची कथक नृत्यांगना सुश्री दीपान्निता सरकार की ने चक्रधर समारोह की दूसरी शाम मंच पर प्रस्तुति दी। नृत्य के दौरान उनकी भाव भंगिमाओं और मुद्राओं ने पूरे कार्यक्रम में समा बांध दिया। दीपान्नीता सरकार कथक के लखनऊ घराने की हैं और प्रस्तुति दे रहे कलाकार सौरभ जयपुर घराने से ताल्लुक रखते हैं। इस तरह मंच पर लखनऊ और जयपुर घराने का बेजोड़ संगम दर्शकों को देखने को मिला। पूरी प्रस्तुति के दौरान नर्तकों की पखावज, हारमोनियम बांसुरी और तबले के साथ संगत देखते ही बनती थी। हम कथक कलाकारों को राजा चक्रधर सिंह के बारे में पढ़ाया जाता है। हम कलाकार बचपन से उनके कला अवदानों के बारे में सीखते आए हैं। आज उनकी नगरी में हमे अपनी कला के प्रदर्शन का मौका मिल रहा है। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है।