बरमकेला। मानसून की शुरुआत काफी निराशाजनक बीता और पूरे आषाढ़ महीना सूखा गुजर गया। सावन महीने के पहले दिन बारिश से हुई थी। लेकिन उसके बाद से कोई खास वर्षा नहीं हो रही थी ऐसे में बुधवार को मानसून की सेकंड फेज लगते हवा की दिशा में बदलाव आया और आसमान में मेघमय दिखाई दिया। सुबह 10 बजे अच्छी बारिश होने से किसानों के चेहरे में चमक आ गया है और पिछड रहे खेती किसानी कार्य में तेजी आने की उम्मीद जता रहे हैं।
किसानों को सावन महीने से बड़ी उम्मीदें टिकी हुई है। आषाढ़ महीना सूखा सूखा बीता। इससे खेती किसानी पिछड़ा हुआ है। अब तक रोपाई का कार्य आधा हो जाना चाहिए था। किंतु किसानों के खेतों में पर्याप्त मात्रा में पानी का जमाव नहीं होने से धान थरहा की रोपण करते नहीं बन रहा है। हालांकि बोरपंप के सहारे किसान रोपाई करने में लगे हुए है। इसी बीच बुधवार को भारी बारिश की चेतावनी दी गई और मध्यम वर्षा हुई। सुबह से आसमान में काले घने बादल आ गए थे। प्रात: 10 बजे कुछ देर तक झमाझम बारिश होने से किसानों की उम्मीदें बढ़ गई है। रोपाई करने वाले किसानों के लिए राहत देने वाली साबित हुई। मौसम में बदलाव आने से किसानों के चेहरे में चमक आ गया है। तहसील सरिया क्षेत्र में अब तक रोपाई का कार्य पिछड़ा हुआ है। फिर भी अगले एक दो दिन में भारी बारिश की चेतावनी की सूचना पाकर किसान गदगद है। मानसून की प्रथम फेज पूरी तरह से फेल रहा और अब सेकंड फेज में अच्छी बारिश होने की उम्मीद जताई जा रही है। हरेली त्योहार के बाद भी रोपाई का कार्य चलता रहेगा।
खेती किसानी की लागत बढ़ा
राज्य सरकार ने धान की समर्थन मूल्य बढ़ा दी है। वही धान उत्पादन का लागत मूल्य भी महंगा होता जा रहा है। साल्हेओना के वरिष्ठ कृषक निराकार पटेल ने बताया कि प्रतिवर्ष कृषि मजदूरों की कीमत बढने से किसानों को खेती महंगा हो गया है। धान रोपाई के लिए प्रति एकड़ 5600 रुपए देना पड रहा है। वही दैनिक मजदूरी 350 रुपए ले रहे हैं। जबकि खेतों की जोताई प्रति एकड़ 1200 और कीचड़, कोपर 1400 रुपए ट्रैक्टर मालिक ले रहे हैं। चूंकि खेतों में खरपतवार की निंदाई – गुडाई का सीजन प्रारंभ नहीं हुआ है। फिर भी अन्य काम काज के लिए मजदूरों की जरूरत पड रहा है।
मानसून की सेकंड फेज की शुरुआत से बदला मौसम, हुई जोरदार बारिश
