खरसिया। माता शीतला के दरबार शीतला नगर हमालपारा में शीतला सप्तमी के अवसर पर भक्तों का अपार रेला देखा गया। माता की धोक खाने के लिए रविवार की रात 11:30 बजे से ही लोगों की अपार भीड़ मंदिर परिसर में देखी गई, जो सोमवार की सुबह 9:30 बजे तक अविरल बनी रही।
होली के बाद प्रथम सोमवार को शीतला माता का पूजन किया जाता है। मारवाड़ी समाज में यह पूजन आवश्यक माना जाता है। माता शीतला को ठंडे खाने का भोग लगाया जाता है, वहीं माता का पूजन करने वाला पूरा परिवार भी इस दिन ठंडे खाने का ही भोजन करता है, इसलिए इस त्यौहार को बासौड़ा भी कहा जाता है। माता के पूजन से एक दिन पूर्व गृहणियां तरह-तरह के पकवान बना लेती हैं। पंडित कान्हा शास्त्री ने बताया कि शीतला माता शीतलता प्रदान करती हैं। इस दिन माता शीतला का पूजन करने से कई तरह के दुष्प्रभावों से भक्तों को मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि माता शीतला का व्रत रखने से कई तरह की शारीरिक व्याधियों से परिवार को छुटकारा मिलता है। इस दिन शीतला स्त्रोत का पाठ शीतलता जनित व्याधि से पीडि़तों के लिए हितकारी है। स्त्रोत में भी स्पष्ट उल्लेख है कि शीतला माता गर्दभ पर आरूढ रहती हैं, शूप, मार्जनी और नीम पत्तों से अलंकृत रहती हैं। पूरे परिवार की निरोगता के लिए महिलाएं बढ़-चढक़र माता रानी का पूजन और प्रार्थना करती हैं। शीतला नगर स्थित माता शीतला सेवा समिति के द्वारा इस वर्ष पूरे मंदिर प्रांगण को भव्य रूप से सजाया गया तथा भक्तों को पूजन में सुविधा हो, इसके लिए भी पर्याप्त बंदोबस्त किया गया।
शीतला मां के दरबार में उमड़ी भक्तों की भीड़
