रायगढ़। जिले में संचालित मिशनरीज संस्थाओं की स्कूलों व्दारा पढऩे वाले बच्चों को लगने वाली किताबो और कापियों की खरीद में दलाली वसूल की जा रही है इसी तरह का मामला हालही में प्रकाश में आया है जिसमे शिकायत होने के बाद शिक्षा अधिकारी ने कार्यवाही करने की बजाए स्कूल प्रबंधक को नोटिस जारी कर मामले को रफादफा कर दिया बताया जाता है। रायगढ़ की शालिनी एवं कार्मेल स्कूल व्दारा अपने यहां पढऩे वाले बच्चों को एक निश्चित दुकान से ही किताब एवं कापिया खरीदने के निर्देश दिए गए है। जिसका फायदा उठाकर दुकानदारों व्दारा मनमानी कीमत वसूलने के साथ ही अभिभावकों को कापियां खरीदने की शर्त पर ही किताबों की बिक्री की जा रही है इस तरह के व्यवहार की जानकारी अभिभावकों ने मीडिया को देते हुए बताया की पिछले दिनों शालिनी स्कूल से अभिभावकों को व्हाट शाप मेसेज मिला था की वे सिंधु बुक डिपो से ही किताबे खरीदे इस पर अभिभावक उक्त दुकान से किताबे खरीदने गए तो उन्हे कापियां नही खरीदने पर बुक देने से इंकार कर दिया गया इस संबंध में स्कूल का पक्ष जानने के लिए जब शालिनी स्कूल के प्रशांत सर से बात की गई तो उन्होंने ऐसा कोई निर्देश देने से साफ इंकार कर दिया यहां तक की उन्होंने प्रिंसपल का फोन नंबर बताने से भी मना कर दिया जबकि सिंधु बुक डिपो के संचालक का कहना है की भीड़भाड़ ज्यादा होने से हिसाब किताब में गड़बड़ी होने की संभावना को देखते हुए उनके स्टाप ने अभिभावक से ऐसा कहा होगा ! अब इसी से स्पष्ट है की शालिनी स्कूल का प्रबंधन किस तरह बच्चो को एक दुकान विशेष से किताबे खरीदने बाध्य करता है और फिर अपनी करनी को छिपाने पूरे मामले से साफ पल्ला छाड़ रहा है इस तरह की एक शिकायत पिछले दिनों कार्मेल स्कूल के संबध में की गई थी जिसमे प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं कि आश्चर्य की बात तो यह है की शिक्षा विभाग की जानकारी में आने के बाद भी डी ओ व्दारा मामले में कोई सख्त कार्यवाही करने की बजाए स्कूल को महज एक नोटिस दे कर मामले को खत्म कर दिया गया इसी से पता चलता है की इन मिशनरीज स्कूलों के इस गोरख धंधे को शिक्षा अधिकारी का भी पूरा संरक्षण प्राप्त है मिशनरीज स्कूलों से इस तरह के विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। यह कोई नई बात नही है अनुशासन के नाम पर स्कूल प्रबंधन इस तरह के फरमान आए दिन जारी करता रहता है।