रायगढ़। शहर का एक व्यवसायी अपनी खरीदी गई भूमि का नक्शा बटांकन दुरुस्त करने सालभर से राजस्व विभाग के दफ्तरों का चक्कर लगा-लगाकर थक चुका है, लेकिन उसके मामले का निराकरण आज तक नहीं हो सका। इसके लिए उन्होंने आरआई को जिम्मेदार ठहराते हुए लंबी रकम के लालच में मामले को लटकाने व गलत जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का भी आरोप लगाया है। इसकी शिकायत उन्होंने एसडीएम व कलेक्टर से कर आरआई पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी गिरधर कुमार अग्रवाल व उनके पिता महादेव प्रसाद अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने रायगढ़ तहसील के ग्राम कोटरापाली में धरनीधर बाजपेयी से भूमि खरीदी थी। खसरा नं. 24,3 पर कुल भूमि 0.073 हेक्टेयर उनके नाम पर थी। सीमांकन व नक्शा बटांकन हेतु नायब तहसीलदार के न्यायालय में आवेदन किया गया। तब नायब तहसीलदार न्यायालय से आरआई के साथ दो पटवारियों की टीम बनाकर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे। जिस पर आरआई व पटवारी मौके पर पहुंचे और सीमांकन किया। इस दौरान टीम मेें शामिल एक अन्य पटवारी को साथ नहीं ले गए। सीमांकन के बाद जो जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया, उसमें बिक्रेता धरनीधर बाजपेयी के नाम पर खसरा नं. 24,3 की 0.073 हेक्टेयर भूमि दर्ज होने व इसमें से 0.052 हेक्टेयर भूमि को आवेदक गिरधर पिता महादेव प्रसाद अग्रवाल द्वारा क्रय किए जाने की बात लिखी गई। 0.021 हे. भूमि शेष बताया गया। जबकि आवेदक गिरधर अग्रवाल का कहना है कि जिस समय जमीन खरीदी गई, उसी समय क्रेता ने 0.021 हेक्टेयर भूमि को 10 हजार रुपए लेकर उन्हें बेच दिया था। इसके लिए बकायदा स्टाम्प में इकरारनामा भी किया गया। उसके बाद से 24ध्3 स्थित 0.073 हेक्टेयर भूमि पर उसका कब्जा है, लेकिन आरआई ने गलत प्रतिवेदन देते हुए शेष 0.021 हेक्टेयर भूमि को शेष बताते हुए मामले को अटका दिया है। उन्होंने उक्त आरआई की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशाना लगाते हुए उनके स्थान पर अन्य आरआई से सीमांकन कराकर जांच प्रतिवेदन मंगाने की मांग करते हुए एसडीएम व कलेक्टर से उसकी शिकायत भी की है। जिस पर एसडीएम ने नायब तहसीलदार को मार्क करते हुए जांच के भी निर्देश दिए थे।
आदेश के तीन माह बाद सीमांकन, प्रतिवेदन भी ढाई माह बाद- पीडि़त
श्री अग्रवाल का कहना है कि उसके आवेदन पर नायब तहसीलदार ने 07 फरवरी 2023 को सीमांकन करने के आदेश दिए थे। लेकिन आरआई ने तीन माह बाद 12 मई 2023 को सीमांकन किया। उसके बाद नायब तहसीलदार न्यायालय में प्रतिवेदन प्रस्तुत करने में भी ढाई माह का समय लगा दिया। आरआई ने नायब तहसीलदार के समक्ष 28 जुलाई 2023 को प्रतिवेदन पंचनामा प्रस्तुत किया। जब प्रतिवेदन देखा गया, तो उसमें भी गलत बात दर्शाई गई और खसरा नंबर 24ध्3 में रकबा 0.073 हे. में 0.052 हे. बेचने के बाद 0.021 हे. जमीन शेष रहना और 4 फीट पर रास्ता बताया गया है, जहां से पश्चिम दिशा में मोतीलाल व अन्य के लोगों द्वारा आने जाने के लिए उपयोग करना बताया गया है। यह जमीन किसकी है, यह स्पष्ट नहीं किया गया है। जबकि 0.021 हे. जमीन को भी बिक्रेता द्वारा आवेदक को बेचा जाना व इकरारनामा की कापी नायब तहसीलदार न्यायालय में पहले ही पेश किया जा चुका है।
एक ही जमीन का नजरी नक्शा अलग-अलग
नायब तहसीलदार ने जिस आरआई व दो पटवारियों की टीम बनाकर सीमांकन व नजरी नक्शा प्रस्तुत करने का आदेश दिया था, उसने 06 मार्च 2024 को सीमांकन के समय नजरी नक्शा तैयार किया था। उसके पहले 12 मई 2023 को सीमांकन कर उसी जमीन का नजरी नक्शा बनाया गया था। दोनों ही नक्शा अलग-अलग है। एक ही जमीन का उसी आरआई द्वारा अलग-अलग नजरी नक्शा तैयार करने पर भी आवेदक अग्रवाल ने प्रश्नचिह्न लगाया है। उन्होंने पूरे मामले की कलेक्टर जनदर्शन में भी शिकायत की थी। नायब तहसीलदार के समक्ष भी सारे तथ्य रखे जा चुके हैं, लेकिन अभी तक इस मामले का निराकरण नहीं हो सका है, जिसके कारण वह राजस्व विभाग का चक्कर काट रहा है। श्री अग्रवाल ने बताया कि उक्त जमीन के सीमांकन में 0.667 हेक्टेयर यानी साढ़े 16 डिसमिल जमीन मिली है। कुल 18 डिसमिल जमीन में से करीब डेढ़ डिसमिल जमीन बाजू वाले मोतीलाल, सुखरू आदि ने दबा रखी है। जिसकी शिकायत आवेदक श्री अग्रवाल ने कलेक्टर व तहसीलदार से की है।
आरआई की मनमानी, सालभर में दुरुस्त नहीं हुआ नक्शा बटांकन
पीडित ने लगाया गलत प्रतिवेदन देने व पैसे के लिए मामला लटकाने का आरोप, एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक लगा चुका गुहार, पर अब तक नहीं हुआ निराकरण
