रायपुर। महादेव सट्टा ऐप केस में ईओडब्लयू (आर्थिक अनुसंधान शाखा) ने ईडी की शिकायत पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत 21 आरोपियों पर एफआईआर दर्ज की है। इसमें ऐप प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल समेत कई अज्ञात पुलिस अफसर और कारोबारियों के नाम भी शामिल हैं। वहीं बघेल ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताया है। ईडी की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि महादेव ऐप प्रमोटर्स को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों का संरक्षण प्राप्त था। ऐप के प्रमोटर्स की ओर से कार्रवाई रोकने के लिए इन आरोपियों को बड़ी राशि नियमित रूप से प्रोटेक्शन मनी के रूप में दी गई।
हवाला के जरिए दी जाती थी प्रोटेक्शन मनी
ईडी का आरोप है कि महादेव बुक के ऑपरेटरों के जरिए हवाला से पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं तक प्रोटेक्शन मनी पहुंचाई जाती थी। इन अफसरों और नेताओं ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए प्रमोटर्स से आर्थिक लाभ प्राप्त करते हुए अवैध संपत्ति अर्जित की। ईडी ने कई अचल संपत्तियों को प्रोविजनल अटैच किया है।
इन धाराओं के तहत हुआ अपराध दर्ज
एफआईआर में इन सभी आरोपियों पर 4 मार्च को आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी में धारा 120 बी, 34, 406, 420, 467, 468 471 धारा 7, 11 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 यथा संशोधित भ्रष्टाचार निरोधक (संशोधन) अधिनियम 2018 का अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया गया।
कोविड के दौरान हर महीने 450 करोड़ वसूले
एफआईआर में दावा किया गया है कि 2020 में कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन लागू होने के बाद प्रमोटरों और पैनल ऑपरेटरों ने ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप के माध्यम से हर महीने करीब 450 करोड़ रुपए कमाए। अवैध रूप से मिली रकम के लेन-देन के लिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते खोले गए। इसमें कहा गया है कि पैनल संचालकों ने विभिन्न बैंक खातों के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में प्रमोटरों को अवैध राशि ट्रांसफर की। सट्टेबाजी वेबसाइटों पर विज्ञापन देने के लिए ऐप प्रमोटरों ने भारी रकम खर्च की थी। साथ ही वार्षिक स्टार-स्टडेड कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते थे, जिसमें मशहूर हस्तियों को शामिल किया जाता था।
ऐप से 6000 करोड़ की आय हुई
ईडी करीब एक साल से महादेव ऐप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही है। आरोप है कि इसमें छत्तीसगढ़ के उच्च पदस्थ राजनेताओं और नौकरशाहों के शामिल होने का पता चला है। ऐप के दो मुख्य प्रमोटर भी छत्तीसगढ़ से ही हैं। ईडी के अनुसार, इस मामले में करीब 6,000 करोड़ रुपए की आय आंकी गई है।
राजनांदगांव में भाजपा हार रही, इसलिए डाला नाम
ईओडब्लयू में दर्ज एफआईआर को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा पर राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया है। उन्होंने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि, भाजपा राजनांदगांव का चुनाव हार रही है। इसलिए उनका नाम एफआईआर में डाला गया है। उन्होंने कहा कि, राजनीतिक बदले की वजह से ऐसा किया गया। भूपेश बघेल ने कहा कि, 4 मार्च को केस दर्ज किया, लेकिन रविवार को इसे जारी किया गया। इन लोगों ने सर्वे कराया देखा कि राजनांदगांव में भाजपा कमजोर है। केस के विवरण में मेरा नाम नहीं है। बस नाम लिख दिया गया, लिखा गया है कि अधिकारी भी शामिल हैं तो अफसरों का नाम क्यों नहीं लिखा है।
एफआईआर में हैं इनके भी नाम
एफआईआर की जो कॉपी वायरल हुई है उसमें पूर्व सीएम भूपेश बघेल का नाम है। उनके अलावा ऐप प्रमोटर रवि उप्पल, शुभम सोनी, चंद्रभूषण वर्मा, आसीम दास, सतीश चंद्राकर, नीतीश दीवान, सौरभ चंद्राकर, अनिल कुमार अग्रवाल, विकास छापरिया, रोहित गुलाटी, विशाल आहूजा, धीरज आहूजा, अनिल कुमार दम्मानी, सुनील कुमार दम्मानी, भीम सिंह यादव, हरिशंकर टिंबरेवाल, सुरेंद्र बागड़ी, सूरज चोखानी और संबंधित अज्ञात ब्यूरोक्रेट्स, पुलिस अफसर और ओएसडी शामिल हैं।
महादेव सट्टा केस में पूर्व सीएम पर एफआईआर
ईडी का आरोप- प्रमोटर्स ने हवाला के जरिए दी रकम, भूपेश बोले- राजनीतिक साजिश
