बिलाईगढ़। राजमहल प्रांगण में राजघराना द्वारा संकल्पित विष्णु महापुराण ज्ञान यज्ञ के पंचम दिवस पर व्यास पीठ से पं अनिलशुक्ला द्वारा भगवान के विविध अवतारों की कथा का विस्तार पूर्वक वर्णन कियें इसी क्रम में समुद्र मंथन के पावन चरित्र का गुणगान किया गया। उन्होंने बताया कि भगवान अजीत नारायण, कच्छप नारायण, धन्वंतरी नारायण एवं मोहिनी नारायण के रूप में अवतार ग्रहण किए व समुद्र मंथन कर देवताओं का हित साधन कर अमृत का पान करवाए। भगवान सांसारिक जीवो को ज्ञान दिए कि – मानव जीवन में नित्य आत्ममंथन करना ही श्रेष्ठ समुद्र मंथन है। जिसके द्वारा कोई भी सतभाव रूपी अमृत का पान कर मुक्त हो सकता है। आगे महराज श्री द्वारा वामन नारायण के पावन चरित्र का विस्तार पूर्वक वर्णन किया।फिर पावन वंश की कथा का गुणगान किया गया , जिसमें सूर्य वंश में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की कथा का वर्णन कियें , आगे चंद्रवंश में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के हेतु का विस्तार पूर्वक वर्णन कियें, राजमहल प्रांगण में दिव्य पंडाल में भगवान श्री कृष्ण की झांकी निकाल कर जन्मोत्सव मनाया गया। राजमहल प्रांगण में चल रही विष्णु महापुराण की कथा सुनने श्रोताओं की नित्य सैंकड़ों की उपस्थिति हो रही है। संकल्पकर्ता बिलाईगढ़ स्टेट राजा साहब परम श्रद्धेय ओंकारेश्वर शरण सिंह द्वारा आगंतुक भक्तों के लिएभंडारा की नित्य व्यवस्था की गई है। कथा श्रवण हेतु भक्तों से आग्रह किया गया है।
आत्ममंथन ही श्रेष्ठ समुद्र मंथन है : पं अनिल

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lochan Gupta
