रायगढ़। जिले के लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के पराजय से कार्यकर्ताओं में बेहद निराशा देखी जा रही है। पूर्व मंत्री सत्यानंद राठिया के नेतृत्व में पार्टी इस बार लैलूंगा सीट हर हाल में जितने की रणनीति पर जूटी थी। लेकिन भितरघात के पूरी रणनीति पर पानी फेर दिया। राजनीति के जानकारों की माने तो इस चुनाव में लैलूंगा ब्लॉक के भाजपा के तीनों मंडल में भितरघात पार्टी की हार के लिए प्रमुख कारण माना जा रहा है। बताया जाता है कि लैलूंगा ब्लाक से भाजपा को अनुमान से काफी कम वोट मिले। वहीं रोड़ोपाली मंडल में भाजपा को भितरघात का गहरा अघात लगा। हालांकि इस सीट परिसीमन क्षेत्र और तमनार मंडल में भाजपा बढ़त बनाने में कामयाब रही। किंतु लैलूंगा ब्लॉक में भारी मतों से पिछडऩे के चलते महज 4176 वोट के अंतर से कांग्रेस ने जीत दर्ज करने में सफल हो गई। भाजपा कार्यकर्ता लैलूंगा सीट में लगातार दूसरी हार से बेहद निराश नजर आ रहे हैं। अब आने वाले दिनों में भाजपा की भितरघात के चलते हुई हार की समीक्षा होगी तो वास्तविक स्थिति से पर्दा उठ सकता है कि किस कारण से पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा। रायगढ़ जिले की लैलूंगा सीट से बीजेपी जीत को लेकर इस बार बेहद अस्वस्थ रही। बताया जाता है कि बीते 2018 के चुनाव में सत्यानंद राठिया के पराजय के बाद भाजपा इस चुनाव में कांग्रेस से हार का बदला लेने की पूरी तैयारी कर चुकी थी। संभवत: यही वजह है कि सत्यानंद राठिया ने 2023 के इस विधानसभा चुनाव के लिए पत्नी सुनीति राठिया को प्रत्याशी बनाने पर जोर दिया था। पार्टी ने भी सत्यानंद राठिया के जीत के दावे पर पूरा विश्वास जताया और सुनीति सत्यानंद राठिया की टिकट पक्की कर दी। लेकिन इस चुनाव में टिकट वितरण को लेकर पार्टी के भीतर मचे द्वंद्व को समझने की फिक्र किसी ने नहीं की। जिसका असर सीधे तौर पर भितरघात के रूप में चुनाव की बाजी पलटने का कारण बन गया। राजनीति के जानकारों की माने तो संगठन के आला नेताओं के जनसंपर्क एवं चुनाव प्रचार में लैलूंगा क्षेत्र में आने का प्रभाव भी पार्टी के भीतर मचे द्वंद्व को कम नहीं कर पाया। बताया जाता है कि इस चुनाव में लैलूंगा ब्लॉक से भाजपा को उम्मीद के अनुरूप वोट हासिल कर पाने में सफलता नहीं मिली। लैलूंगा ब्लाक के लैलूंगा मंडल मुकडेगा और राजपुर मंडल से भाजपा करीब 11 हजार से पीछड़ गई। इसके अलावा रोडोपाली मंडल से भी भाजपा को झटका लगा। हालांकि तमनार मंडल में भाजपा लीड बनाने में कामयाब रही। इधर परिसीमन क्षेत्र में भी भाजपा करीब 6000 की बढ़त बनाने से सफल तो रही, लेकिन क्षेत्र के बड़े गड्ढे को पाठ पाना मुश्किल हुआ और महज 4176 मतों के अंतर से भाजपा को इस चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा। बताया जाता है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चक्रधर सिंह सिदार 81770 मत प्राप्त कर 24483 वोट से चुनाव जीते थे। बीजेपी से सत्यानंद राठिया प्रत्याशी रहे। उन्हें 57287 वोट मिले थे। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुनीति सत्यानंद राठिया के हिस्से में 80490 वोट आए, लेकिन चुनाव हार गई। खास बात यह रही की 2018 के चुनाव में कांग्रेस की जीत का अंतर जहां 24483 वोटों का रहा। वहीं इस बार के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विद्यावती सिदार के खाते में 84666 वोट आए थे। गौर करने वाली बात यह भी है कि विद्यावती सिदार 2018 चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को मिले वोट से 2896 वोट अधिक हासिल करने में सफल रही। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चक्रधर सिंह सिदार को 81770 मत मिले थे और वह 24483 मतों के अंतर से भाजपा को पराजित करने में कामयाब रहे थे। इस चुनाव में वोटों के गणित को समझने में भाजपा कहीं ना कहीं चुक कर गई या कही पार्टी के अंदर हुए भितरघात के गणित को समझ पाने में असफल रही। और वहां 4000 के आंकड़ों से पीछडक़र सीट गवां बैठी।
ज्यादातर बूथ में पीछड़ गई थी भाजपा
लैलूंगा क्षेत्र में भाजपा का चुनाव संचालन सीधे तौर पर सत्यानंद राठिया ही कर रहे थे। हालांकि संगठन की ओर से संचालन का दायित्व अरुण राय और अशोक गुप्ता को प्रभारी बनाकर दिया गया था। खास बात यह है कि लैलूंगा ब्लाक पर सत्यानंद राठिया के ही मार्गदर्शन में चुनावी कामकाज किया गया। इसके बावजूद लैलूंगा ब्लॉक के तीनों मंडल में पार्टी बढ़त बनाने में कामयाब नहीं रही। बगूडेगा बूथ से लेकर गहनाझरिया के एक बूथ में कांग्रेस की बढ़त रही। कोड़ासिया, तारागढ़, बैंगिनझरिया, आमपाली, मोहनपुर, कुंजरा, लैलूंगा के तीन बूथ, मुकडेगा, रूडुकेला, करवाजोर, तोलमा, चंवरपुर, कारडेगा, बसंतपुर, खार, सुबरा, केसला, फूलीकुंडा, गेरूपानी, नारायणपुर, तोलगे, पोटेबिरनी, मिलूपारा, पेलमा, बजरमुंड़ा, चितवाही, बनाई, बरकसपाली, पाता, डोलसरा, कोलम, कुंजेमुरा, सराईटोला, गारे, कोडक़ेल, लिबरा, बुडिय़ा, सलियाभांठा, उत्तररेगांव, जरेकेला, देवगढ़, बरपाली, आमापाली, हर्राडीह, आमगांव, कर्रापाली, सपनाई और बड़े अत्तमुड़ा बूथ में कांग्रेस अच्छी खासी बढ़त बनाने में सफल रही। खास बात यह भी रही की डाक मत पत्र में भी भाजपा पिछड़ गई। उनके हिस्से 311 मत आए जबकि कांग्रेस के खाते में 510 डाक मत पत्र आए।
कांग्रेस की जीत के क्या है मायने
लैलूंगा सीट से कांग्रेस की जीत के पीछे कारणों की समीक्षा तो भाजपा कार्यकर्ता कर ही रहे हैं। लेकिन पार्टी इसकी समीक्षा कब करेगी इसका इंतजार है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस बार जीत के लिए जी तोड़ मेहनत की थी। लेकिन भितरघातियों ने पानी फेर दिया। लैलूंगा क्षेत्र से कांग्रेस की विद्यावती सिदार की जीत और भाजपा की हार के कारणों को लेकर राजनीतिक दलों में तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है। लेकिन संगठन स्तर पर वास्तविक कारणों की समीक्षा होने पर पता चल पाएगा कि किन कारणों से इस तरह की स्थिति बनी। बताया जाता है कि रायगढ़ जिले की खरसिया, धरमजयगढ़ और लैलूंगा क्षेत्र में कांग्रेस की जीत से यह जनादेश तो मिल ही गया कि इन क्षेत्रों में भाजपा का जादू चल नहीं पाया। कांग्रेस अपनी पकड़ मजबूत रखने में कामयाब रही। भाजपा को इसकी समीक्षा तो करनी पड़ेगी क्योंकि आने वाले दिनों में लोकसभा का चुनाव है।
भितरघात के चलते लैलूंगा से भाजपा की हुई हार!
टिकट वितरण के बाद मचे द्वंद्व को साध नहीं पाई पार्टी
