रायगढ़। सुलक्षणा जी इस दुनिया से चली गई मगर ये भी साबित कर गई कि संजीव कुमार जी के लिए सुलक्षणा जी का प्यार कितना सच्चा था। सुलक्षणा जी की मृत्यु ठीक उसी दिन हुई जिस दिन चालीस साल पहले संजीव कुमार जी की मृत्यु हुई थी। 06 नवंबर को । जी हां, कल अभिनेत्री व गायिका सुलक्षणा पंडित जी का देहांत हो गया। वो 71 साल की थी और काफ़ी समय से बीमार चल रही थी। मुंबई के नानावटी अस्पताल में सुलक्षणा पंडित जी ने अंतिम सांस ली। इस बात से अधिकतर लोग वाकिफ़ हैं कि एक वक्त था जब सुलक्षणा पंडित संजीव कुमार से शादी करना चाहती थी। मगर संजीव कुमार जी ने उनसे शादी करने से इन्कार कर दिया था। तभी से सुलक्षणा पंडित जी मानसिक तौर पर टूट गई थी। संजीव कुमार व सुलक्षणा पंडित की पैदाइश का महीना भी एक ही है। दोनों जुलाई में जन्मे थे। संजीव कुमार नौ जुलाई 1938 को पैदा हुए थे। और सुलक्षणा पंडित 12 जुलाई 1954 को रायगढ़ (सीजी)में जन्मी थी। दोनों की उम्र में 16 साल का फर्क़ था।
सुलक्षणा पंडित एक ऐसे घराने में जन्मी थी जहां संगीत उन्हें विरासत में मिला था। सुलक्षणा जी के पिता प्रताप नारायण पंडित संगीतज्ञ थे। उनके चाचा पंडित जसराज तो भारत के महानतम शास्त्रीय गायकों में शुमार होते हैं। सुलक्षणा जी के सगे छोटे भाई जतिन पंडित व ललित पंडित एक समय पर बॉलीवुड की बहुत नामी म्यूजि़शियन्स की जोड़ी के तौर पर मशहूर रहे हैं। हालांकि कुछ साल पहले दोनों भाई अलग हो गए थे। सुलक्षणा जी की छोटी बहन विजेयता पंडित यूं तो एक्ट्रेस के तौर पर अधिक मशहूर थी। मगर विजेयता जी ने कुछ फि़ल्मों में गायकी भी की थी। और विजेयता जी के पति आदर्श श्रीवास्तव भी संगीतकार थे। अफ़सोस कि आदर्श जी की भी कुछ साल पहले मृत्यु हो गई थी।
सुलक्षणा पंडित मात्र 9 साल की थी जब उन्होंने साल 1967 में आई तक़दीर नामक एक फि़ल्म में पहली बार गायकी की थी। उस फि़ल्म के एक गीत में लता मंगेशकर जी के साथ कुछ बच्चों ने कोरस गाया था। उन बच्चों में सुलक्षणा पंडित भी थी। उस गीत के बोल थे ‘सात समंदर पार से…’ बड़ी होने के बाद सुलक्षणा पंडित जी ने बतौर प्लेबैक सिंगर फि़ल्मों में गायकी शुरू की। साल 1975 में आई फि़ल्म संकल्प के एक गीत के लिए सुलक्षणा जी को उनके करियर का इकलौता फि़ल्मफ़ेयर बेस्ट फ़ीमेल प्लेबैक सिंगर अवॉर्ड मिला था। गीत के बोल थे ‘तू ही सागर है, तू ही किनारा।’ अपने करियर में सुलक्षणा जी ने रफ़ी साहब व किशोर दा जैसे महान गायकों संग भी गायकी की थी। इनफ़ैक्ट, ये किशोर दा थे जिन्होंने सुलक्षणा पंडित को गायकी के साथ-साथ एक्टिंग भी करने की सलाह दी थी।
एक इंटरव्यू में सुलक्षणा जी के भाई ललित पंडित ने बताया था कि सुलक्षणा जी किशोर दा के साथ स्टेज शोज़ में खूब गाती थी। एक दिन किशोर दा ने सुलक्षणा जी से कहा कि तुम अपने लिए एक अलग नीश क्रिएट कर सकती हो। तुम खूबसूरत दिखती हो। इसलिए तुम्हें हीरोइन बनना चाहिए। हीरोइन बनोगी तो अपने गाने खुद गाने की डिमांड भी करना। इससे तुम्हें अलग ही पहचान मिलेगी। और तुम्हारा अलग रुतबा कायम होगा। ये साल 1971 की बात है। इत्तेफ़ाक से उसी दौरान किशोर दा ‘दूर का राही’ फि़ल्म बना रहे थे। किशरो दा ही उस फि़ल्म को डायरेक्ट भी कर रहे थे। वो फि़ल्म लिखी भी किशोर दा ने ही थी। उसके कुछ गीत भी उन्होंने ही लिखे थे। और सभी गीत कंपोज़ भी उन्होंने खुद किए थे। उस फि़ल्म में किशोर दा ने सुलक्षणा पंडित को अपने साथ एक ड्यूट सॉन्ग गाने का मौका दिया। उस गीत के बोल थे ‘बेकऱार दिल गाए जा।’
किशोर दा की हीरोइन बनने वाली सलाह को सुलक्षणा पंडित जी ने गंभीरता से लिया। और लगभग चार साल बाद, साल 1974 में उलझन फि़ल्म से सुलक्षणा पंडित जी का बतौर एक्ट्रेस डेब्यू भी हो गया। उस फि़ल्म में संजीव कुमार जी भी थे। यानि पहली ही फि़ल्म में संजीव कुमार जी के साथ सुलक्षणा जी को काम करने का मौका मिला था। यहां ये भी जान लीजिए कि इस फि़ल्म में भी सुलक्षणा जी ने किशोर दा के साथ एक गाना गाया था, जिसके बोल थे ‘आज प्यारे प्यारे से लगते हैं आप।’
संजीव कुमार जी से उनके रिश्ते के बारे में बात करें तो पहली फि़ल्म उलझन में काम करने के दौरान ही सुलक्षणा पंडित को संजीव जी से इश्क हो गया था। बताया जाता है कि सुलक्षणा पंडित ने खुद संजीव कुमार को शादी का प्रस्ताव दिया। मगर चूंकि तब संजीव कुमार हेमा मालिनी को चाहते थे। तो उन्होंने सुलक्षणा पंडित के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। सुलक्षणा जी का दिल बुरी तरह टूट गया। उन्होंने कभी किसी और से शादी ना करने का फ़ैसला कर लिया। दूसरी तरफ़, संजीव कुमार जी भी हेमा मालिनी को अपना ना बना सके। वो भी जीवन में अकेले ही रह गए। सुलक्षणा जी को शायद उम्मीद रही होगी कि संजीव कुमार से उनका मिलन ज़रूर होगा।
मगर जब साल 1985 में संजीव कुमार जी की अचानक मृत्यु हो गई तो सुलक्षणा पंडित जी पर उसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। वो मानसिक रूप से अस्थिर होने लगी। सुलक्षणा जी ने लोगों से मिलना-जुलना धीरे-धीरे बंद कर दिया। कुछ ही दिनों बाद उनकी मां की भी मृत्यु हो गई। सुलक्षणा जी और ज़्यादा टूट गई। उन्होंने फि़ल्मों में काम करना भी बंद कर दिया। एक्टिंग भी छोड़ दी और गायकी भी छोड़ दी। हालांकि अपने भाई के बहुत कहने पर साल 1996 में आई संजय लीला भंसाली की फि़ल्म ‘खामोशी द म्यूजिक़ल’ में सुलक्षणा पंडित जी ने उदित नारायण के साथ मिलकर एक गाना गाया था, जिसके बोल थे ‘सागर किनारे भी दो दिल हैं प्यासे।’ ये सुलक्षणा पंडित जी का आखिरी गीत साबित हुआ। सुलक्षणा पंडित जी भी अब इस दुनिया से चली गई। साल 2025 कई ऐसे फि़ल्म कलाकारों की जि़ंदगी का आखिरी साल साबित हुआ है जो कई जेनेरेशन्स के पसंदीदा कलाकार थे। मगर उन सभी कलाकारों की तरह ही सुलक्षणा पंडित जी की कहानी भी हमेशा रहेगी। सुलक्षणा पंडित जी को नमन। शत शत नमन। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति
एक्ट्रेस-सिंगर सुलक्षणा के निधन पर सीएम साय ने जताया शोक
कहा- छत्तीसगढ़ की बेटी ने अपनी सुरों से रोशन किया प्रदेश का नाम

भारतीय सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री, मधुर स्वर साधिका छत्तीसगढ़ की बेटी सुलक्षणा पंडित के निधन पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शोक जताया है। सीएम ने ट्वीट कर कहा, संगीत और अभिनय की उनकी यात्रा की जड़ें छत्तीसगढ़ के रायगढ़ की उस सांस्कृतिक मिट्टी से जुड़ी थी, जहां संगीत एक परंपरा नहीं एक जीवनधारा है। शहर की पुरानी बस्ती स्थित रामगुड़ी सोनारपारा निवासी और अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय में जन्मी सुलक्षणा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पैलेस रोड स्थित शासकीय बालिका विद्यालय में प्राप्त की। सीएम साय ने कहा, सुलक्षणा के पिता प्रताप नारायण पंडित राजा चक्रधर सिंह के दरबार के प्रसिद्ध तबला वादक थे। उनके परिवार के लिए संगीत केवल एक कला नहीं, बल्कि जीवन का संस्कार था और सुलक्षणा जी ने उसी संस्कार को सुरों में ढालकर पूरी दुनिया तक पहुंचाया और छत्तीसगढ़ का नाम रौशन किया। उनकी आवाज में सादगी थी, भाव था और इस मिट्टी की सुगंध थी। छत्तीसगढ़ उनकी इस अमर संगीत यात्रा को नमन करता है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शोकाकुल परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहने की शक्ति दें।
सुलक्षणा पंडित के निधन पर ओपी ने शोक जताया

भारतीय सिनेमा जगत की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री, प्रदेश की गौरव पुत्री सुलक्षणा पंडित के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए विधायक रायगढ़ वित्त मंत्री छत्तीसगढ़ ओपी चौधरी ने इसे भारतीय सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति बताया। सादगी के जरिए मुकाम हासिल करने वाली वाली सीने अभिनेत्री सुलक्षणा जी का जन्म छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक नगरी रायगढ़ में हुआ था। बाल्यकाल से ही संगीत उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बना रहा। रायगढ़ की सांस्कृतिक मिट्टी में पली-बढ़ी सुलक्षणा जी ने अपनी मधुर और भावपूर्ण आवाज़ से भारतीय संगीत जगत को अनेक अविस्मरणीय गीत गाए जो संगीत प्रेमियों के हृदयों में सदैव जीवित रहेगा। इस अपूरणीय क्षति की घड़ी में ओपी ने कहा मेरी गहरी संवेदनाएं उनके परिवारजनों सहित असंख्य प्रशंसकों के साथ हैं। ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने की प्रार्थना करते हुए ओपी ने कहा उनके पिता प्रताप नरेंद्र पंडित राजा चक्रधर सिंह के दरबार के प्रतिष्ठित दरबारी कलाकार रहे। उनके परिवार का संबंध देश के महान शास्त्रीय गायक पंडित जसराज से था सुलक्षणा उनके छोटे भाई की बेटी थी। रायगढ़ की बेटी ने अपने सुरों अभिनय के जरिए भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाई दी। उनकी विरासत केवल फिल्मों तक समिति नहीं बल्कि रायगढ़ की इस सांस्कृतिक परम्परा का प्रतीक भी है जिसने भारत की अनेक संगीतकार दिए। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि छोटे शहरों से निकली प्रतिभाएं भी देश का गौरव बन सकती है। सुलक्षणा पंडित सुर सादगी और संवेदना की अमर मिशाल बन चुकी है।



