रायपुर। राज्य सरकार ने सडक़ों पर बढ़ते आवारा पशुओं से होने वाले हादसों को गंभीरता से लेते हुए राज्यव्यापी अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। परिवहन विभाग ने इसके लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार कर जारी कर दी है। इस पहल के तहत राज्य के प्रत्येक जिले में उन इलाकों की पहचान की जाएगी जहां सडक़ों पर आवारा पशुओं की वजह से दुर्घटनाएं सबसे अधिक होती हैं। इन क्षेत्रों को अब हाई रिस्क और मॉडरेट रिस्क जोन के रूप में मैप तैयार किया जाएगा। इसके बाद वहां सडक़ों पर घूम रहे पशुओं को काउ कैचर के जरिये पकडक़र गौशालाओं, गौ अभ्यारण्य या कांजी हाउस में भेजा जाएगा। रात के समय दुर्घटनाओं को रोकने के लिए मुख्य मार्गों पर स्ट्रीट लाइटिंग, संकेतक बोर्ड और रेडियम पट्टियों से लैस पशुओं की पहचान प्रणाली लागू की जाएगी। एक माह चलेगा विशेष अभियान, पशुपालकों की ?जागरूकता के लिए सोशल मीडिया का होगा उपयोग, शिविर भी लगेंगे
्रअभियान के दौरान पकड़े गए पशुओं को जब गौशाला या कांजी हाउस भेजा जाएगा, तो उनके मालिकों को सूचित किया जाएगा। इसके बाद राज्य सरकार द्वारा तय एसओपी के अनुसार उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसमें जुर्माना या अन्य वैधानिक दंडात्मक प्रावधान भी शामिल रहेंगे। सडक़ सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पशुपालन विभाग की ओर से पशुओं पर रेडियम स्ट्रिप लगाई जाएगी। राज्य में यह अभियान एक महीने तक दिन-रात चलेगा। केवल नगरीय निकाय ही नहीं बल्कि उनके 10 से 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में भी कार्रवाई होगी। पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग ग्राम पंचायतों के साथ समन्वय स्थापित कर इस अभियान को सफल बनाएगा। अभियान के संचालन की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों को दी जाएगी, जो अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार करते हुए संचालनालय को नियमित रिपोर्ट भेजेंगे। निगरानी और रिपोर्टिंग व्यवस्था: हर सप्ताह सभी निकायों को संचालनालय को रिपोर्ट भेजनी होगी। रिपोर्ट में प्राप्त शिकायतें, उनके निराकरण और अभियान की प्रगति का ब्यौरा शामिल होगा। एनएचएआई का टोल फ्री नंबर 1033 और निदान 1100 पर आवारा पशुओं से जुड़ी शिकायतें दर्ज की जा सकेंगी। निगरानी दल कार्रवाई की नियमित समीक्षा करेगा।
छग सरकार ने राज्यव्यापी अभियान शुरू करने का लिया गया निर्णय
जहां आवारा पशुओं से हादसे वहां 15 किमी तक निगरानी



