रायगढ़। निगम और जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाने तो यातायात विभाग जिम्मेदारी में हुआ फेल, औद्योगिक नगरी में अधिकारियों का फोकस जनसुविधा नहीं धनसुविधा पररायगढ़ छोटा सा कस्बाई शहर जिसका मुख्य बाजार संजय कॉम्पलेक्स, गद्दी चौक, मंदिर चौक, हंडी चौक और सती गुड़ी चौक के क्षेत्र में सीमित है। आधे किलोमीटर की त्रिज्या में रायगढ़ शहर का मार्केट समाप्त हो जाता है। बीते कुछ महीनों से हर शाम इन जगहों पर जाना जैसा नामुमिकन सा हो गया है। पहले त्यौहारों पर जाम लगता था पर अब तो बुधवार के दिन भी रायगढ़ शहर की सडक़ों पर ट्रैफिक रेंग रही है।
आज धनतेरस है सुबह से शहर के 100 मीटर के फासले को तय करने में आधे घंटे तक का समय लग रहा है। इस ट्रैफिक में सबसे ज्यादा परेशान होते हैं छोटे बच्चे और मरीज, एंबुलेंस के लिए भी लोग जगह नहीं देते हैं। वन वे रोड और पार्किंग सिर्फ कागजों में है। लोगों में अगर ट्रैफिक सेंस की कमी है तो प्रशासनिक नाकामी भी इसके लिए जिम्मेदार है। गलियां अवैध रूप से खड़ी चार पहिया वाहनों से पटी हैं। यह अब पैदल चलने के लायक नहीं।
सडक़ें सकरी हैं ऊपर से ट्रैफिक विभाग की मनमानी। जिन जगहों पर जाना आसान था वहां बैरिकेडिंग लगाकार जाना मुश्किल कर दिया। मुख्य मार्ग में व्यापारी हालाकान हैं कि त्यौहारी सीजन जारी है और इस बेलगाम ट्रैफिक को कोई सुधार नहीं हो रहा है। ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए पेट्रोलिंग वाहन कभी कभी कभार दिखती है, पुलिस बल तो दिखता ही नहीं है। लोग आपस में उलझते रहते हैं। व्यवस्था के फेलियर के बाद अवैध रूप से सडक़ों को कब्जे में करने से रास्ते संकरे हो गए हैं। अधिकारी आते हैं जाते हैं और एक दो दिन अतिक्रमण पर कार्रवाई कर मीडिया की सुर्खियां बटोर लेते हैं और ठीक उसके अगले दिन अतिक्रमण फिर से हो जाता है। परेशान आम रायगढिय़ा है। औद्योगिक नगरी होने के कारण से यहां जनप्रतिनिधियों और अफसरों में अपना फोकस जनसुविधा को छोड़ धनसुविधा पर लगाया हुआ है। लोगों की परेशानी से उन्हें कोई सरोकार नहीं।
ऐसा नहीं कि बदतर यातायात व्यवस्था सिर्फ शहरी क्षेत्र में हैं शहर को चारों ओर यह समस्या और भयावह और प्राणघाती भी हो जाती है। लोग अब त्योहारों में घरों में कैद होना सीख रहे हैं क्योंकि वह उनके चलने लायक नहीं बचीं।
कैद हो जाएं घरों में शहर की सडक़ें अब चलने लायक नहीं रही !
