सारंगढ़। सारंगढ़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है- माँ समलेश्वरी मंदिर, जो लगभग 800 वर्ष पुराना माना जाता है। यह प्राचीन मंदिर गिरि विलास महल के ठीक सामने स्थित है और इसे सारंगढ़ की कुलदेवी माँ समलेश्वरी को समर्पित किया गया है। यह स्थल न केवल धार्मिक श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि इतिहास और परंपराओं से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
इतिहास की गहराई में समाया मंदिर
मंदिर परिसर में प्राचीन खंडित मूर्तियों की उपस्थिति यह प्रमाणित करती है कि यह स्थान सदियों पुराना धार्मिक केंद्र रहा है। यह मंदिर तत्कालीन राजवंशों और स्थानीय लोगों के लिए आस्था और शक्ति का प्रतीक माना जाता था। वर्तमान में भी, यह मंदिर स्थानीय संस्कृति और लोकविश्वास का केंद्र बना हुआ है।
संतान प्राप्ति की मान्यता
स्थानीय जनमान्यता के अनुसार, माँ समलेश्वरी को संतान दायिनी देवी के रूप में पूजा जाता है। ऐसा विश्वास है कि जो भी दंपति संतान की कामना लेकर सच्चे मन से माँ के दर्शन करते हैं, उन्हें माँ का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है। इस आस्था के चलते कई निसंतान दंपति यहाँ दर्शन हेतु आते हैं और उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं, ऐसा स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
नवरात्रि के पावन अवसर पर यहाँ नौ दिनों तक अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है और जस गायन का भव्य आयोजन किया जाता है। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूर-दराज़ से दर्शन के लिए यहाँ पहुँचते हैं। यह परंपरा सदियों से निरंतर चली आ रही है, जो माँ समलेश्वरी की महिमा और लोक आस्था को दर्शाती है।
स्थान और आस-पास के धार्मिक स्थल
यह मंदिर सारंगढ़ शहर के केंद्र में, गिरि विलास महल के सामने स्थित है। मंदिर के मात्र 100 मीटर की दूरी पर माँ काली का एक और प्राचीन मंदिर भी स्थित है, जिससे यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन के लिए भी उपयुक्त स्थल बनता जा रहा है। गिरि विलास महल भी मंदिर के निकट स्थित होने के कारण दर्शनार्थियों के लिए एक और ऐतिहासिक आकर्षण है। निष्कर्ष :- माँ समलेश्वरी मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि सारंगढ़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान का भी जीवंत प्रतीक है। यहाँ की लोक मान्यताएँ, परंपराएँ और श्रद्धा की गहराई आने वाली पीढिय़ों को अपनी जड़ों से जोडऩे का कार्य करती हैं। इस मंदिर की महत्ता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और यह आस्था, संस्कृति और इतिहास का एक संगम स्थल बन चुका है।
सारंगढ़ की कुलदेवी माँ समलेश्वरी का प्राचीन मंदिर: आस्था, इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का संगम
