सारंगढ़-बिलाईगढ़। बरमकेला ब्लॉक के ग्राम पंचायत बड़े नावापारा के आश्रित ग्राम अमलीपाली में हालात बेहद चिंताजनक हैं। यहां का प्राथमिक स्कूल भवन जर्जर हो चुका है। छत से पानी टपकना और मलबा गिरना अब आम बात हो गई है। मजबूरी में पहली से पांचवीं तक के बच्चों की क्लास बरामदे में लग रही है। भीषण गर्मी हो या बारिश, बच्चे खुले बरामदे में ही पढऩे को मजबूर हैं।
बच्चों के जान पर भारी स्कूल आने का रास्ता
स्कूल तक पहुंचने का रास्ता भी बच्चों और ग्रामीणों के लिए किसी दुश्वार सफर से कम नहीं है। अमलीपाली से बेरियल होकर डीपापारा स्कूल जाने वाली सडक़ महज 3-4 किलोमीटर लंबी है, लेकिन हालात ऐसे हैं कि हर कदम मौत के साए में गुजरता है। पानी और कीचड़ से भरी यह सडक़ अब रास्ता नहीं बल्कि जी का जंजाल बन चुकी है। कई बच्चे रोज फिसलकर गिरते हैं, किताबें और कपड़े खराब हो जाते हैं। अभिभावक हर सुबह बच्चों को स्कूल भेजते वक्त यही प्रार्थना करते हैं कि वे सुरक्षित लौट आएं।
ग्रामीणों की नाराजगी, प्रशासन मौन’
ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या को लेकर कई बार विभाग को आवेदन दिए गए। अखबारों, पोर्टलों और सोशल मीडिया पर भी आवाज उठाई गई, लेकिन अब तक सडक़ की मरम्मत के नाम पर एक ईंट तक नहीं रखी गई। ग्रामीणों का सवाल है कि आखिर प्रशासन कब तक सोएगा? क्या किसी बड़ी दुर्घटना के बाद ही जिम्मेदारी का एहसास होगा?
आंदोलन की चेतावनी
ग्रामीण अब खुलकर चेतावनी दे रहे हैं। उनका कहना है कि अगर जल्द ही सडक़ और स्कूल भवन की मरम्मत का काम शुरू नहीं हुआ तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। फिलहाल, गांव में चिंता यही है कि कब तक बच्चे इस मौत के रास्ते से होकर स्कूल आते-जाते रहेंगे और कब प्रशासन इस समस्या का समाधान करेगा।
स्कूल के बरामदे में लग रही 5 कक्षाएं
बड़े नावापारा संकुल के अमलीपाली में स्कूल भवन जर्जर, जर्जर सडक़ भी बना जानलेवा
