बिलासपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में सहायक प्राध्यापक भर्ती में दृष्टिहीन और कम दृष्टि वाले अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दी है।
डिवीजन बेंच ने कहा कि, राज्य सरकार या नियुक्ति-कर्ता प्राधिकारी को यह तय करने का अधिकार है कि किस पद पर किस श्रेणी के दिव्यांग को अवसर दिया जा सकता है। नियोक्ता ही बेहतर तय कर सकता है कि किसी पद के लिए कौन सा दिव्यांग श्रेणी उपयुक्त है। इस तरह चयन प्रक्रिया पूरी होने और असफल होने के बाद कोई अभ्यर्थी रोस्टर या आरक्षण को चुनौती नहीं दे सकता है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (पीएससी) ने साल 2019 में सहायक प्राध्यापक के 1384 पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू की थी। इसके लिए जारी विज्ञापन में वाणिज्य विषय के 184 पद शामिल थे। ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तारीख 5 मार्च 2019 तय की गई थी। इसी बीच पीएससी ने 23 फरवरी 2019 को एक आदेश जारी किया, जिसमें शारीरिक रूप से दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए पदों की संख्या में संशोधन किया गया।
चयन से वंचित होने पर हाईकोर्ट में लगाई याचिका
रायगढ़ निवासी सरोज क्षेमनिधि ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरक्षण के केटेगरी को चुनौती दी है। याचिका में बताया कि 14 मार्च 2019 को उसने आवेदन प्रस्तुत किया और नवंबर 2020 में आयोजित लिखित परीक्षा पास की। इसके बाद उसे साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। लेकिन, अंतिम चयन सूची में स्थान नहीं मिला। याचिका में आरोप लगाया कि पीएससी ने वाणिज्य विषय में दृष्टिहीन और अल्प दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को 2 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध नहीं कराया है। याचिका में मांग की गई कि वाणिज्य में सहायक प्राध्यापक के बैकलॉग पदों पर भी दृष्टिहीन और अल्प दृष्टि श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण लागू कर शुद्धिपत्र जारी किया जाए। साथ ही इस श्रेणी में पदों को भरने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।
वकील ने केस लिया वापस तो खुद की पैरवी
सुनवाई के दौरान सरोज के वकील ने केस से अपना नाम वापस ले लिया। इसके बाद उसने अपने केस की पैरवी खुद की। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वाणिज्य विषय के 1384 पदों में से 2प्रतिशत आरक्षण दृष्टिहीन और अल्प दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को दिया जाना चाहिए था, लेकिन पीएससी ने ऐसा नहीं किया। यह दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 का उल्लंघन है।
राज्य सरकार ने कहा- वाणिज्य और विज्ञान में आरक्षण संभव नहीं
वहीं, राज्य सरकार और पीएससी की तरफ से जवाब में तर्क दिया गया कि कला संकाय में ही दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए पद आरक्षित हैं, जबकि वाणिज्य व विज्ञान संकाय में कार्य की प्रकृति को देखते हुए ऐसा संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि सरकार पहले ही एक हाथ और एक पैर श्रेणी के दिव्यांगों के लिए वाणिज्य विषय में आरक्षण उपलब्ध करा चुकी है।
हाईकोर्ट बोला-सरकार तय कर सकती है दिव्यांगों का आरक्षण
प्रोफेसर-भर्ती में दृष्टिहीन और कम दृष्टि वाले को नहीं मिला आरक्षण, याचिका खारिज
