खरसिया। धार्मिक नागरिक खरसिया की धन्य धरा पर जगत के नाथ भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी, बलभद्र और सुभद्रा के साथ सुसज्जित रथ पर सवार होकर अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए खरसिया नगर भ्रमण में निकले हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का खास धार्मिक महत्व है हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि के दिन रथ यात्रा निकाली जाती है। भगवान श्री जगन्नाथ जी का स्वागत खरसिया नगर में घर घर भक्तों द्वारा श्रद्धा के फूल चढ़ाकर दीप जला आरती करते हुए किया गया। विगत अनेक वर्षों से राधा कृष्ण मंदिर पुरानी बस्ती एवं राधा कृष्ण मंदिर चंदन तालाब एवं अनेकों स्थानों से रथ को सुसज्जित कर भगवान जगन्नाथ सुभद्रा और बलभद्र को रथ में विराजमान करवा कर संपूर्ण रास्ते भर अनेकों भक्त अपने हाथों से खींचते हुए नगर भ्रमण करवाते है और रथ को खींचने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होने और रथ को खींचने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी सुभद्रा ने पुरी नगर देखने की इच्छा व्यक्त करी थी तब भगवान जगन्नाथ और बलभद्र उन्हें रथ पर बैठाकर नगर भ्रमण के लिए निकले और रास्ते में अपनी मौसी गुंडिचा के मंदिर में कुछ दिन के लिए रुके तभी से इसी घटना की याद में हर साल रथ यात्रा निकाली जाती है तीनों रथ गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं और सात दिनों तक वहीं विश्राम करते हैं। बताते चलें कि रथ यात्रा एक ऐसी यात्रा है जो अपने आप में भारतीय संस्कृति का सार है ये एक ऐसा उत्सव है, जिसमें भक्ति, एकता, समर्पण और उल्लास एक साथ देखने को मिलते हैं ये यात्रा हमें सिखाती है कि ईश्वर केवल मंदिरों या पूजालयों तक सीमित नहीं हैं जगत के पालनहार जगत के नाथ भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी अपने भक्तों के बीच आकर उन्हें साक्षात दर्शन भी देते हैं आम इंसानों की तरह बीमार भी पड़ते हैं जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी ये भी एक अनोखी परंपरा है।