धरमजयगढ़। छत्तीसगढ़ प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद जनता ने जिस बदलाव की उम्मीद जताई थी वह अब नेस्तनाबूद होते जा रही है। सबका साथ और सबका विकास की परिकल्पना को साकार करने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार फिलहाल सुशासन तिहार में व्यस्त है। उधर, कई ऐसे मामलों को देखते हुए लगता है कि तंत्र से लोक गायब होता जा रहा है। हालात कुछ इस कदर गंभीर होते जा रहे हैं कि निजी स्वार्थ साधने के लिए आम जनता की आवाजों को बर्बरता पूर्वक कुचला जा रहा है।
रायगढ़ जिले में धरमजयगढ़ क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम भालूपखना में लघु जल विद्युत परियोजना के अनाधिकृत क्रियान्वयन की शुरुआत से ही विवादों में रही है। इस प्रोजेक्ट में प्रभावित वन भूमि के गैर वानिकी उपयोग के लिए मंजूरी की प्रक्रिया लंबित होने के बावजूद प्रोजेक्ट का काम धडल्ले से चल रहा है। यह स्थिति वन संरक्षण अधिनियम के केंद्रीय मंत्रालय द्वारा जारी एक दिशा निर्देश का स्पष्ट उल्लंघन है। इस मामले पर स्थानीय वन विभाग के आला अधिकारी को अधिनियम के अनुपालन में आवश्यक कार्यवाही के लिए महीनों पहले किए गए पत्राचार को सिरे से नजऱ अंदाज कर दिया गया है। यानी जनहित के बहाने तानाशाही करने पूरा तंत्र संगठित नजर आ रहा है।
सीमांकन की बाट जोह रहे प्रभावित ग्रामीण
इसके अलावा इस परियोजना में ग्राम भालूपखना के प्रभावित ग्रामीणों द्वारा स्थानीय राजस्व अधिकारी को निजी भूमि के सीमांकन के किए गए निवेदन पर फिलहाल मंथन चल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में अधिग्रहण के लिए तय भूमि से अधिक जमीन पर कब्जा कर लिया गया है। ग्रामीणों ने सीमांकन के लिए 15 दिवस का अल्टीमेटम दिया है और कहा है कि यदि ऐसा नहीं होता है तो आंदोलन शुरू किया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन से जुड़े कई विवादों पर प्रशासन की कार्यशैली को देखते हुए इस बात की कोई उम्मीद नजर नहीं आती है कि ग्रामीणों के आरोपों पर प्रशासन निष्पक्ष जांच कराएगी।
धनवादा प्रोजेक्ट में हाइप्रोफाइल सिंडिकेट के आगे घुटने टेकने को मजबूर ग्रामीण
विरोध के स्वरों को कुचलने का असीमित प्रयास कर रहा तंत्र
