रायपुर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 4 अप्रैल की शाम को छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। वे यहीं रात रुकेंगे। दूसरे दिन वे दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी के दर्शन करेंगे, फिर बस्तर पंडुम महोत्सव में शामिल होंगे। पंडुम कार्यक्रम में शाह बस्तर की संस्कृति, खान-पान, ड्रिंक्स, आभूषण, वेशभूषा, वाद्य यंत्र, नाटक और डांस का लुत्फ उठाएंगे। प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने बताया कि अमित शाह बड़े नक्सल ऑपरेशन में शामिल कमांडर्स से मुलाकात करेंगे। एंटी नक्सल ऑपरेशन को लेकर अफसरों से चर्चा करेंगे। साथ ही बस्तर निकाय चुनावों में जीतने वाले जनप्रतिनिधियों के साथ लंच भी करेंगे। विजय शर्मा ने बताया कि महोत्सव के उद्घाटन में 3 अप्रैल को कवि कुमार विश्वास बस्तर आएंगे। वे यहां बस्तर के राम विषय पर प्रस्तुति देंगे। साथ ही भगवान राम के बस्तर से नाता के बारे में बताएंगे। राम कथा में ‘बस्तर के राम’ पर कथा सुनाएंगे। बस्तर पंडुम में पंडुम का मतलब उत्सव से है। 12 मार्च से इसकी शुरुआत बस्तर के अलग-अलग इलाकों में हो चुकी है। इसमें जनजातीय नृत्यों के तहत गेड़ी, गौर-माडिय़ा, ककसाड़, मांदरी, हुलकीपाटा जैसे 12 डांस फॉर्म स्थानीय कलाकारों ने दिखाए हैं। लोक गीत श्रृंखला के तहत जनजातीय गीत- चैतपरब, लेजा, जगारगीत, धनकुल, हुलकी पाटा जैसे दर्जनों गीत, जनजातीय नाट्य श्रेणी में भतरा नाट्य लय और ताल, संगीत कला, वाद्य यंत्र के साथ दिखाया गया है।
पंडुम महोत्सव में जनजातीय वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें धनकुल, ढोल, चिटकुल, तोड़ी, अकुम, झाब, मांदर, मृदंग, बिरिया ढोल, सारंगी, गुदुम, मोहरी, सुलुङ, मुंडाबाजा, चिकारा को बजाने की प्रतियोगिता होगी। इसके साथ ही जनजातीय वेशभूषा और आभूषण प्रदर्शन विधा में लुरकी, करधन, सुतिया, पैरी, बाहूंटा, बिछिया, ऐंठी, बन्धा, फुली, धमेल, नांगमोरी, खोचनी, मुंदरी, सुर्रा, सुता, पटा, पुतरी, नकबेसर जैसे आभूषण दिखाए गए हैं।
इसके साथ ही महोत्सव में जनजातीय शिल्प और चित्रकला का प्रदर्शन किया जा रहा है। इसमें घड़वा, माटी कला, काष्ठ, ढोकरा, लौह प्रस्तर, गोदना, भित्तीचित्र, शीशल, कौड़ी शिल्प, बांस की कंघी, गीकी (चटाई), घास के दानों की माला प्रदर्शन की प्रस्तुति हो रही है। साथ ही जनजातीय ड्रिंक और व्यंजन का भी प्रदर्शन हो रहा है। इसमें सल्फी, ताड़ी, छिंदरस, लांदा, पेज, कोसरा और मडिय़ा पेज, चापड़ा चटनी, सुक्सी पुडग़ा, मछरी पुडग़ा, मछरी झोर, आमट साग, तिखुर बनाने की विधि, स्थानीय मसाले, स्वाद, प्रकार का प्रस्तुतिकरण बस्तर पंडुम 2025 के मुख्य आकर्षण हैं। बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों में प्रतियोगिता और प्रदर्शनी के तौर पर कार्यक्रमों को दिखाया गया। अब 3 से 5 अप्रैल को दंतेवाड़ा में सभी जिलों से जीतकर आए कलाकार अपनी कला दिखाएंगे। एक ही जगह पर बस्तर के रहन-सहन, पहनावे, भोजन, नृत्य, संगीत सब कुछ देखने को मिलेगा।
बस्तर में नक्सल ऑपरेशन कमांडर्स से मिलेंगे : अमित शाह
आदिवासी ड्रिंक्स का लुत्फ उठाएंगे शाह, कुमार विश्वास की भी गूंजेंगी कविताएं
