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Reading: भगवान के सम्मुख और शरणगत होना ही भागवत कथा है: श्रीधराचार्य महाराज
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NavinKadam > रायगढ़ > भगवान के सम्मुख और शरणगत होना ही भागवत कथा है: श्रीधराचार्य महाराज
रायगढ़

भगवान के सम्मुख और शरणगत होना ही भागवत कथा है: श्रीधराचार्य महाराज

ऐरन परिवार के द्वारा आयोजित कथा के पांचवे दिन श्री कृष्ण-बलराम के बाल लीलायें एवं श्री गोवर्धन पूजा के प्रसंग सुनाया

lochan Gupta
Last updated: September 22, 2023 1:13 am
By lochan Gupta September 22, 2023
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6 Min Read

रायगढ़। स्व. प्राण सुखदास जी व पूर्वजों के आर्शीवाद से पूर्व विधायक विजय अग्रवाल के ऐरन परिवार के द्वारा पितृ मोक्षार्थ गया श्राद्धान्तर्गत होटल श्रेष्ठा रायगढ़ में आयोजित भागवत महापुराण कथा के पांचवे दिवस में व्यासपीठ में आसीन जगतगुरू स्वामी रामानुजाचार्य श्री श्रीधराचार्य जी महाराज ने श्री कृष्ण बलराम के बाल लीलायें एवं श्री गोवर्धन पूजा उत्सव के प्रसंग सुनाया।
श्री कृष्ण बाल लीलाओं वर्णन किया गया कथा वाचक श्रीधराचार्य महाराज ने कहा कि सदा सुख केवल भगवान के चरणों में हैं। भगवान के सम्मुख और उनके शरणागत होने को ही भागवत कथा से कल्याणकारी और कोई भी साधन नहीं है इसलिए व्यस्त जीवन समय निकालकर कथा को आवश्यक महत्व देना चाहिये। भागवत कथा से बड़ा कोई सत्य नहीं है। भागवत कथा अमृत है इसके श्रवण करने से मनुष्य अमर हो जाता है। यह एक ऐसी औषधी है। जिससे जन्म मरण का रोग मिट जाता है। भागवत कथा को पांचवा वेद कहा गया है जिसे पढ़ सकते और सुन सकते हैं। कृष्ण हिन्दु धर्म में विष्णु के अवतार है। सनातन धर्म के अनुसार भागवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। भगवान विष्णु के अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्री राम और श्री कृष्ण के ही माने जाते हैं। श्री कृष्ण का जन्म क्षत्रिय कुल में राजा यदुकुल के वंश में हुआ था। श्रीधराचार्य महाराज ने कृष्ण जीवनलीला के बारें में विस्तार पूर्वक विवरण कर संगतो को कृष्ण के जीवनलीला के बारे में बताया गया।
कथा वाचक श्री श्रीधराचार्य जी महाराज ने पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि पूतना राक्षसी ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्री कृष्ण ने स्तनपान करते करते ही पूतना का वधकर उसका कल्याण किया। माता यशोदा जब भगवान श्री कृष्ण को पूतना के पास से उठाकर लाती है। उसके बाद पंचगव्य गाय के गोबर, गौमुत्र से भगवान को स्नान कराती हैं। सभी को गौ माता की सेवा, गायत्री का जाप और गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। गाय कि सेवा से 33 करोड़ देवी, देवताओं की सेवा हो जाती है।
पृथ्वी ने गाय का रूप धारण करके श्रीकृष्ण को पुकारा तब श्रीकृष्ण पृथ्वी पर आये हैं। इसलिए वह मिट्टी में नहाते, खेलते और खाते हैं ताकि पृथ्वी का उद्धार कर सकें। गोपबालकों ने जाकर यशोदामाता से शिकायत कर दी–’मां तेरे लाला ने माटी खाई है यशोदामाता हाथ में छड़ी लेकर दौड़ी आयीं। ‘अच्छा खोल मुख।’ माता के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण ने अपना मुख खोल दिया। श्रीकृष्ण के मुख खोलते ही यशोदाजी ने देखा कि मुख में चर-अचर सम्पूर्ण जगत विद्यमान है। आकाश, दिशाएं, पहाड़, द्वीप, समुद्रों के सहित सारी पृथ्वी, बहने वाली वायु, वैद्युत, अग्नि, चन्द्रमा और तारों के साथ सम्पूर्णज्योतिर्मण्डल, जल, तेज अर्थात प्रकृति, महतत्त्व, अहंकार, देवगण, इन्द्रियां, मन, बुद्धि, त्रिगुण, जीव, काल, कर्म, प्रारब्ध आदि तत्त्व भी मूर्त दीखने लगे। पूरा त्रिभुवन है, उसमें जम्बूद्वीप है, उसमें भारतवर्ष है, और उसमें यहब्रज, ब्रज में नन्दबाबा का घर, घर में भी यशोदा और वह भी श्री कृष्ण का हाथ पकड़े। बड़ा विस्मय हुआ माता को। श्री कृष्ण ने देखा कि मैया ने तो मेरा असली तत्त्व ही पहचान लिया है। श्री कृष्ण ने सोचा यदि मैया को यह ज्ञान बना रहता है तो हो चुकी बाललीला, फिर तो वह मेरी नारायण के रूप में पूजा करेगी। न तो अपनी गोद में बैठायेगी, न दूध पिलायेगी और न मारेगी। जिस उद्देश्य के लिए मैं बालक बना वह तो पूरा होगा ही नहीं। यशोदा माता तुरन्त उस घटना को भूल गयीं।
कथा वाचक श्रीधराचार्य जी महाराज ने कहा कि आज कल की युवा पीढ़ी अपने धर्म अपने भगवान को नही मानते है, लेकिन तुम अपने धर्म को जानना चाहते हो तो पहले अपने धर्म को जानने के लिए गीता, भागवत,रामायण पढ़ो तो, तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जायेगी। ब्रजवासियों ने इंद्र की पूजा छोडकर गिर्राज जी की पूजा शुरू कर दी तो इंद्र ने कुपित होकर ब्रजवासियों पर मूसलाधार बारिश की, तब कृष्ण भगवान ने गिर्राज को अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का मान मर्दन किया। तब इंद्र को भगवान की सत्ता का अहसास हुआ और इंद्र ने भगवान से क्षमा मांगी व कहा हे प्रभु मैं भूल गया था की मेरे पास जो कुछ भी है वो सब कुछ आप का ही दिया है कथा में राधे कृष्ण गोविंद गोपाल राधे राधे भजन ऊपर भक्तों ने खूब आनंद उठाया।

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