रायगढ़। पालिका चुनाव के लिए अध्यक्ष तथा पार्षदों के आवेदन का सिलसिला तो थम गया, परंतु इन आवेदनों को लेकर जिस प्रकार की गुटबाजी देखी जा रही है, ऐसे में खरसिया नगर के शासन की गद्दी भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। यदि पर्यवेक्षकों द्वारा अध्यक्ष पद के लिए सटीक नाम नहीं चुना जाएगा, तो प्रदेश की सत्ता में रहते हुए भी भाजपा को नगर की सत्ता से दूर रहना होगा। क्योंकि कांग्रेस ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
जन-चर्चाओं की मानें तो खरसिया नगर पालिका अध्यक्ष पद हेतु भाजपा के भिन्न-भिन्न गुटों द्वारा अलग-अलग नामों पर जोर आजमाइश की जा रही है। ऐसे में पर्यवेक्षकों का कर्तव्य है कि जमीनी स्तर से जुड़े कार्यकर्ताओं को इस बार अध्यक्ष पद का अवसर प्रदान करे। वैसे भी भाजपा द्वारा समर्पित कार्यकर्ताओं को ही महत्व दिया जाता है। पालिका का चुनाव नगर के लिए महत्वपूर्ण होता है, ऐसे में सुयोग्य कार्यकर्ताओं को यदि भाजपा अवसर देती है, तब तो नगर की गद्दी पर भाजपा ही काबिज होगी, परंतु अपने-अपने स्तर पर लगे बहुत से स्थानीय नेताओं द्वारा अध्यक्ष पद की दावेदारी को लेकर अपने अपने दांव खेले जा रहे हैं।
कांग्रेस कर रही प्रतीक्षा
खरसिया नगर पालिका के पिछले कार्यकाल को देखा जाए तो 18 में से 13 पार्षद कांग्रेस से थे। वहीं कांग्रेस द्वारा अब तक अध्यक्ष तथा पार्षदों को लेकर किसी प्रकार की रणनीति जाहिर नहीं की जा रही है। इसका मतलब यह नहीं कि कांग्रेस हताशा में जी रही है, वरन् कांग्रेस को इस बात का इंतजार है कि भाजपा द्वारा किन प्रत्याशियों को अवसर दिया जा रहा है, ताकि वह उनसे बेहतर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतार सके और अपनी खोई हुई गद्दी पुन: वापस पा सके।
भाजपा के लिए बहुत कठिन है डगर पनघट की
गुटों में बटी राजनीति कहीं पड़ न जाए भारी
