धरमजयगढ़। जिले में उद्योग स्थापित करने हेतु अनिवार्य नियम कानून को ताक पर रखकर और जनता को दिग्भ्रमित करते हुए कॉरपोरेट घरानों की अनैतिक गतिविधियों के कई मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि ऐसे मसलों के खुलासे के बाद सरकारी कार्रवाई की कुछेक अपवादों को छोडक़र बाकी मामलों में जिम्मेदारों का रवैया नकारात्मक रहा है। वहीं, कई उद्योग समूह अपने प्रोजेक्ट की स्वीकृति को लेकर बरते गए मनमानी की गोपनीयता बरकऱार रखने के लिए भ्रामक सूचना का सहारा ले रहे हैं। यही नहीं एक मामले पर एक नामी गिरामी महा रत्न दर्जा प्राप्त कंपनी द्वारा आरटीआई से मांगे गए जानकारी तक आसान पहुंच को बाधित करने का प्रयास भी किया जा रहा है। जिले के धरमजयगढ़ वन मंडल अंतर्गत आने वाले छाल एसईसीएल उपक्षेत्र के विस्तार परियोजना को लेकर प्रबंधन की ओर से दी गई जानकारी जिसमें कहा गया है कि राजस्व भूमि होने के कारण ग्राम पंचायत अनापत्ति आवश्यक नहीं है। जबकि इस मामले पर धरमजयगढ़ एसडीएम डिगेश पटेल ने कहा कि अनूसूचित क्षेत्र में किसी भी प्रोजेक्ट के लिए ग्राम पंचायत की अनापत्ति लिया जाना अनिवार्य है। ऐसे में यह बिलकुल साफ है कि प्रबंधन की ओर से भ्रमित करने वाली जानकारी देकर अनियमितता को छिपाने का असफल प्रयास किया जा रहा है। इस मामले में विभागीय अधिकारियों से मिली पुष्ट जानकारी के मुताबिक छाल एसईसीएल उप क्षेत्र अंतर्गत विस्तार परियोजना में प्रभावित अतिरिक्त रूप से प्रस्तावित भूमि पर करीब 16 हजार वृक्ष मौजूद हैं। वन विभाग के संबंधित क्षेत्र के एक अधिकारी ने बताया कि इस भूमि पर प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के लिए विदोहन योग्य 16 हजार पेड़ों की मार्किंग की गई है।