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NavinKadam > रायपुर > छत्तीसगढ़ कैडर के सीनियर आईपीएस जीपी सिंह जल्द होंगे बहाल
रायपुर

छत्तीसगढ़ कैडर के सीनियर आईपीएस जीपी सिंह जल्द होंगे बहाल

सरकार ने किया था रिटायर, कैट के फैसले का दिल्ली हाईकोर्ट ने किया समर्थन

lochan Gupta
Last updated: August 25, 2024 2:19 am
By lochan Gupta August 25, 2024
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8 Min Read

रायपुर। छत्तीसगढ़ कैडर के सीनियर आईपीएस जीपी सिंह जल्द ड्यूटी पर वापस लौट सकते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने कैट के फैसले को सही ठहराया है। कैट ने 4 सप्ताह में जीपी सिंह से जुड़े मामले को रद्द कर उन्हें बहाल किए जाने का आदेश दिया था, लेकिन उनकी ज्वॉइनिंग नहीं हो पाई। सरकार ने नियम-प्रकिया को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी। जुलाई 2023 में राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। जीपी सिंह पर 2022 में छत्तीसगढ़ सरकार ने राजद्रोह का केस दर्ज किया था। मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। हालांकि बाद में हाईकोर्ट से जमानत ले ली थी। जीपी सिंह को लेकर एक अफवाह ये भी थी कि उन्हें बर्खास्त किया गया है, लेकिन ऐसा नहीं था। एसीबी ने जुलाई 2021 को सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले के अलावा राजनांदगांव और ओडिशा के 15 अन्य स्?थानों पर छापा मारा था। इसमें 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ कई संवेदनशील दस्तावेज मिले थे। इसके बाद एसीबी ने जीपी सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। वहीं दूसरी ओर सरकार ने 5 जुलाई को उन्हें सस्पेंड कर दिया। 8 जुलाई की रात को उनके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। आरोप था कि जीपी सिंह सरकार गिराने की साजिश रच रहे थे। 9 जुलाई 2021 को जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सीबीआई जांच की मांग की थी। मामले की जांच के बाद 11 जनवरी 2022 को जीपी सिंह को नोएडा से गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद उन्हें मई 2022 में जमानत मिली गई। सर्विस रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर 21 जुलाई 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आईपीएस जीपी सिंह को भारत सरकार ने कम्पलसरी रिटायर कर दिया था। तब जीपी सिंह की सेवा के 8 साल बचे थे।
जीपी सिंह पर राजद्रोह का मामला चल रहा है। फिलहाल वे जमानत पर हैं। जब जुलाई 2021 में त्रक्क सिंह के सरकारी आवास और अन्य ठिकानों पर छापा पड़ा तो ये बात सामने आई कि वो कुछ प्लानिंग कर रहे थे। इसे ही आधार बनाकर उन पर राजद्रोह का केस किया गया था। इसमें आरोप लगाया गया है कि सस्पेंड किए गए ्रष्ठत्र सिंह सरकार के खिलाफ साजिश रच रहे थे। विधायकों और अफसरों के खिलाफ भी डायरी में बातें मिली थीं। एसीबी ने अपनी जांच में जो कागज हासिल किए थे, उसके बाद दावा किया गया है कि जानबूझकर सरकार के खिलाफ बातें लिखी गईं। इससे लोगों के मन में सरकार के प्रति नफरत पैदा हो और असंतोष का माहौल बने। अकेले जीपी सिंह के घर पर ही नहीं, बल्कि इनके दोस्त एसबीआई के मैनेजर मणि भूषण के घर की तलाशी लेने पर भी 5 पेज का डॉक्यूमेंट मिला था। जिसमें अंग्रेजी में विधायकों और छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग के अलावा कुछ ढ्ढ्रस् अफसरों के खिलाफ भी बातें लिखी मिली थीं। जीपी सिंह उस वक्त छत्तीसगढ़ पुलिस में पुलिस एकेडमी का जिम्मा संभाल रहे थे। उससे पहले वो खुद एसीबी के चीफ रह चुके थे। ्रएसीबी के अफसरों ने बताया था कि जीपी सिंह के खिलाफ अवैध वसूली, ब्लैकमेलिंग के जरिए करोड़ों की प्रॉपर्टी बनाई गई, इसकी लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इसके बादएसीबी ने जांच शुरू की। खबर ये भी थी कि जब जीपी सिंह एसीबी प्रमुख थे, तब भ्रष्ट अफसरों को कार्रवाई का डर दिखाकर उन्हें ब्लैकमेल किया और रुपए वसूले थे। जब सरकार ने जीपी से कहा था-आपसे ये अपेक्षा नहीं थी। आईपीएस जीपी सिंह पर राज्य सरकार ने राजद्रोह, आय से अधिक संपत्ति का केस किया था। 1 जुलाई 2021 की सुबह 6 बजे एसीबी-ईओडब्लू की टीमों ने रायपुर, राजनांदगांव और ओडिशा में एक साथ छापा मारा था। रायपुर में एक युवक से मारपीट, भिलाई में सरेंडर करने वाले नक्सल कमांडर से रुपयों का लेन-देन, रायपुर में एक केस में आरोपी की मदद का इल्जाम भी जीपी सिंह पर लगा था। इन पुराने केस की फिर से जांच की जा रही थी। इन तमाम मामलों के बीच 5 जुलाई को राज्य सरकार ने ्रष्ठत्र जीपी सिंह को एक आदेश पत्र में यह लिखते हुए निलंबित कर दिया कि एक अफसर से ऐसी अपेक्षा नहीं थी। जब जीपी सिंह को कोर्ट में पेश किया गया था तब उन्होंने अपने ऊपर हो रही कार्रवाई पर चुप्पी तोड़ी थी और कहा था- ये पॉलिटिकल विक्टमाइजेशन का केस है, मैं शुरू से कह रहा हूं। नागरिक आपूर्ति निगम की जांच कर रहा था, तब गवाहों को हॉस्टाइल करने कहा गया, इस मामले में रमन सिंह और वीणा सिंह को फंसाने कहा गया। जांच में सहयोग न करने के सवाल पर जीपी सिंह ने कहा था मैंने खुद कहा है, रिमांड जितनी चाहिए ले लो, और 15 दिन चाहते हैं तो ले लो। मुझपर दर्ज स्नढ्ढक्र गलत है, जो संपत्ति मेरे नाम बताई जा रही है वो मेरी नहीं है,उन्होंने तब कहा था कि ये पूरा केस फैब्रीकेटेड (रचा हुआ) है।
1 जुलाई 2021 की सुबह 6 बजे एसीबी-ईओडब्लू की टीमों ने रायपुर, राजनांदगांव और ओडिशा में एक साथ छापा मारा था। जीपी सिंह पर स्नढ्ढक्र दर्ज की गई। दूसरे दिन शुक्रवार को दिन भर की जांच के बाद 5 करोड़ की चल-अचल संपत्ति का खुलासा हुआ। 10 करोड़ की संपत्ति मिलने और इसके बढऩे की आधिकारिक जानकारी दी गई। रायपुर में एक युवक से मारपीट, भिलाई में सरेंडर करने वाले नक्सल कमांडर से रुपयों का लेन-देन, रायपुर में एक केस में आरोपी की मदद का इल्जाम भी जीपी सिंह पर लगा। इन पुराने केस की फिर से जांच की जा रही है। इन तमाम मामलों के बीच 5 जुलाई को राज्य सरकार ने जीपी सिंह को एक आदेश पत्र में यह लिखते हुए निलंबित कर दिया कि एक अफसर से ऐसी अपेक्षा नहीं थी। जुलाई के महीने से ही जीपी की लीगल टीम पुलिसिया कार्रवाई को रोकने की दलीलें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पेश कर रहे थे। मगर राहत नहीं मिली थी। जनवरी 2022 में उन्हें अब गुरुग्राम से पकडक़र रायपुर पुलिस छत्तीसगढ़ लेकर आई। जीपी सिंह खुद एसीबी के चीफ रह चुके हैं, इस दौरान उन पर कई लोगों को धमकाने और वसूली करने के आरोप लगे। जीपी के बंगले के छापे में एक डायरी भी मिली, जिसमें कुछ नेताओं और अफसरों के खिलाफ बातें लिखीं थीं, इस मामले में उन पर राजद्रोह का केस भी दर्ज है। 120 दिन रायपुर सेंट्रल जेल में रहे। बाहर आते ही पत्नी को गले लगाया,फौरन गाड़ी में बैठकर चले गए थे। कोर्ट ने कहा था कि जीपी सिंह को रायपुर में रहने की अनुमति नहीं होगी। सिंह मीडिया से कोई बात नहीं करेंगे, केस के सिलसिले में, कोई सार्वजनिक बयान नहीं देंगे।

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