रायगढ़। हिंदी कथा साहित्य जगत को अनुपम कृतियों से समृद्ध करने वाले, अद्वितीय लेखक, महान कथा सर्जक के जन्म जयंती के अवसर पर विगत दिवस विद्यालय स्तर पर परिचर्चा का सफल आयोजन हुआ। कार्यक्रम का संचालन करते हुए हिंदी की व्याख्याता पुष्पांजलि दासे ने प्रेमचंद जी के महान व्यक्तित्व और युगांतकारी रचना धर्मिता पर विचार साझा किया। प्रेमचंद रचित उपन्यास सेवासदन के पात्र सुमन,गबन के पात्र जलपा, गोदान के गोबर और होरी जैसे कलजयी पात्रों तथा कफन, बूढ़ी काकी कहानी की मार्मिकता और ह्रदय स्पर्शी मनोभावों को व्यक्त किया निर्मला जैसे पात्रों के बेमेल विवाह का दंश का सामाजिक और पारिवारिक जीवन पर प्रभाव एवम वर्तमान समय धुरी पर पात्रों के प्रासंगिकता पर चर्चा किया गया। विद्यार्थियों को साहित्य अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया।वरिष्ठ व्याख्याता कुमुदिनी चौहान ने ‘ईदगाह’ कहानी पर चर्चा करते हुए हामिद का उसके दादी के लिए मेले से चिमटा खरीद कर लाने जैसे बाल सुलभ भावनाओं मर्मस्पर्शी प्रकाश डाला। शबीना खान द्वारा बड़े घर की बेटी और लक्ष्मी बहु,परीक्षा जैसे कहानी के आधार पर घर परिवार,समाज और राष्ट्र के विकास में महिलाओं की भूमिका पर सारगर्भित विचार साझा किया गया। वाणिज्य के व्याख्याता सुशांत मिश्रा ने कर्म भूमि के कथा नायक ‘अमरकांत’ रंगभूमि के पात्र ‘सूरदास’ के जीवन चरित्र और राष्ट्र प्रेम तथा समाज सुधार दृष्टिकोण को रेखांकित किया। जीव विज्ञान के व्याख्याता अनिल ओगरे द्वारा प्रेम चंद जी की कहानी पूस की रात कहानी की के पात्र हल्कू और उसका कुत्ता जबरा के बारे में जानकारी प्रदान किया गया।तथा मोबाइल से दूर रहकर किताबों की रोचक दुनिया में लौटने का आग्रह किया।कक्षा 12 वीं की छात्रा आशा उरांव ने नामक का दारोगा कहानी के बारे में बताते हुए मुंशी वंशीधर के कर्तव्य निष्ठा को बताते हुए हर हाल में कर्तव्य पथ पर अडिग रहने के लिए आग्रह किया। गीता,सरोजनी विशाखा के द्वारा भी गुल्ली डंडा और प्रेम चंद जी के अनछुए प्रसंगों को बताया गया। कार्यक्रम में प्राचार्य एस एल सिदार, नीरज सिंग, रविंद्र टंडन, वृंदावन गुप्ता, के सी गुप्ता लोकेंद्र, टी फातमा, लता कोमरे आदि सभी स्टाफ और छात्र छात्राएं उपस्थित थे।