रायगढ़। शहर में चैत्र नवरात्रि पर्व को माता के भक्तगण बड़े ही उत्साह के साथ मना रहे हैं और नवरात्रि के पहले ही दिन से माता भवानी के मंदिर दरबार और घर में श्रद्धालुगण अखंड दीप प्रज्ज्वलित कर अपनी मनोकामना करने पूजा आराधना कर रहे हैं। वहीं नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रम्हचारिणी की पूजा के बाद श्रद्धालुओं ने माता भवानी के तीसरे रुप माता चंद्र घंटा की विधिवत पूजा-अर्चना की।
चंद्रघंटा माता का महात्म्य
नवरात्रि के तीसरे दिन मां भवानी के तीसरे रुप चंद्रघंटा की पूजा का विधान है। माता चंद्रघंटा सिंह की सवारी करती हैं। दस भुजाओं वाली चंद्रघंटा स्वरूप में देवी एक तरफ कमल और कमंडल तो दूसरी ओर शत्रुओं के नाश के लिए त्रिशूल, गदा और खड्ग जैसे अस्त्र भी धारण करती हैं। वे अपने मस्तक पर मुकुट धारण करती हैं। उसमें अर्धचंद्र और दिव्य घंटी लगी है। इसलिए इस स्वरूप में देवी मां चंद्रघंटा कहलाती हैं।माता के इस स्वरूप की पूजा के लिए लाल और पीले फूलों से पूजा होती है। पूजा में अक्षत, चंदन और भोग लगाना चाहिए। वहीं मान्यता है कि मंत्रों का शंख और घंटी बजाने से माता प्रसन्न होती हैं।
मंदिरों में लग रहा रेला
चैत्र नवरात्रि महापर्व की खुशी में शहर के सभी मंदिरों में माता जगतजननी की पूजा अर्चना सुबह और शाम को हो रही है। वहीं मंदिरों में प्रतिदिन श्रद्धालुओं का रेला लग रहा है। पूरे नवरात्रि तक शहर में आध्यात्मिक खुशी का माहौल रहेगा। वहीं आज माता के चौथे रुप स्कंदमाता की पूजा होगी।
नवरात्रि के तीसरे दिन हुई मां चंद्रघंटा की पूजा-आराधना
