गर्भावस्था से जन्म लेने का सफर तकरीबन नौ माह का होता है लेकिन कुछ लोग यदि यह उम्मीद लगाऐं कि वह नवजात जन्म लेते ही अपने पैरों पर खड़ा होकर चलना शुरू कर दे तो यह अव्यवहारिक ही नही अकल्पनीय सी बात होगी। ऐसा ही कुछ इस नवगठित सरकार के साथ हो रहा है फिर चाहे वह हमारे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी हों या विधायक ओ.पी.चौधरीजी जो विधायक होने के साथ साथ कैबिनेट मे बहुत महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व भी निभा रहे हैं। यह रायगढ़ के लिए गौरव की बात है।इसमें कोई शक नहीं कि रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली आठो विधानसभा मे विकास की दौड़ में यदि कोई सबसे आगे दिखलाई पड़ रहा है तो वह रायगढ विधानसभा क्षेत्र ही हैं।संभवतय ऐसा इसलिए हो कि स्वयं को एक कुशल प्रशासक साबित करने के बाद ओ.पी जी अब एक बेहतर जनप्रतिनिधि साबित करने की पुरजोर कोशिश मे हों।
एक छोटे गांव के सरकारी स्कूल से अपनी शिक्षा की शुरुवात कर एक बच्चा देश की अव्वल दर्जे की प्रतियोगी परिक्षा मे अपनी पहचान बना कर कलेक्टर बने फिर उसी सुविधाजनक नौकरी से चन्द बरसो बाद त्याग पत्र देकर राजनीति मे आये तो यह निश्चित है कि कुछ और बेहतर कर गुजरने का जज्बा उनमें मौजूद है।वर्तमान राजनीति मे ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद भी है और ये देश की प्रगति के लिए एक शुभ संकेत है।ऐसे मे उनकी कार्यप्रणाली पर उंगली उठाना न केवल जल्दबाजी बल्कि मानसिक अपरिपक्वता भी है। ओ.पी.चौधरी जी को व्यक्तिगत तौर पर थोड़ा बहुत भी जानने वाले यह दावा कर सकते है कि रायगढ़ के विधायक होने के नाते यहां के विकास के ब्लूप्रिंट का खाका अबतक उनके दिमाग मे तैयार हो चुका होगा और वे उसके क्रियान्वयन की तैयारी मे अपने स्तर पर जुट गये है।
यह हम जैसे आम या सामान्य जनो का दुर्भाग्य है कि अपनी व्यक्तिगत या सामाजिक समस्याओं के दायरों से बाहर आने की कोशिश मे असफल होने पर उसके लिए भी विधायक को जिम्मेदार मान लेते है।बात एक हद तक यदि सही नहीं तो गलत भी नही है।आखिर हम जैसे औसतन लोग यही सोचकर वोट देते हैं।भूल जाते हैं कि जिसे हमने चुना है उस पर संपूर्ण जिले की समस्याएं और उनके निराकरण का बोझ भी है।भूल जाते हैं की ईश्वर ने हमारी तरह उन्हें भी चौबीस घन्टे ही दिए और इन्हीं चौबीस घन्टों मे ही कोई देश हित मे लगा है ,कोई प्रदेश हित मे, कोई अपने जिले तो कोई विकास खंड के हित मे।महज तीन माह मे अपने विधानसभा क्षेत्र मे विकास के लिए ओ.पी.जी करोड़ों रुपयो की योजनाओं को स्वीकृत कर चुके है जिनका सीधा लाभ आने वाले दिनों मे आमजन को ही मिलेगा।फिर चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो या खेल का,व्यापारी वर्ग हो किसान-मजदूर।ऐसी स्थिति मे यदि उन्हेंक यह शिकायत हो कि ओ.पी. उनसे दूर हो गए तो यह महज उनका भ्रम है। हकीकत यह है की वो उन्हीं के हितों के लिए कटिबद्ध होकर काम कर रहे है।
महज भौगोलिक दूरी को मुद्दा न बनाकर आमजन उनके द्वारा किये जा रहे विकास कार्यों की भी समीक्षा करे।90 दिनों मे सरकार द्वारा की जा रही नीतियों का अवलोकन करें।नीतियां विकास की पायदान सी होती है उन्हें योजनाबद्ध तरीकों से लागू करने के लिए प्रतिभा की जरूरत होतीं है।ओ.पी.चौधरीजी मे यह देखी जा सकती है बशर्ते कोई देखना चाहे। बेशक आमजन को यह हक भी है कि यदि यह नीतियां धरातल पर आकार नहीं लेतीं तो आलोचना करें लेकिन महज नब्बे दिनों का आकलन कर कोई सर्टिफिकेट जारी नहीं करना चाहिए।यह सरकार तो आगामी पाँच सालों तक रहेगी ही तो प्रदेश के विकास की सोचें।अंत मे राबर्ट फ्रास्ट की एक कविता का हिन्दी अनुवाद(हरिवंश राय बच्चन)…
गहन सघन मनमोहक वन तरु मुझसे आज बुलाते हैं
किन्तु किये जो वादे मैने याद मुझे आ जाते हैं
अभी कहाँ आराम बदा यह मूक निमंत्रण छलना है
अरे अभी तो मीलों मुझको मीलों मुझको चलना है
– आशा त्रिपाठी
अभी तो मीलों मुझसे चलना है : ओपी चौधरी
