रायगढ़। इप्टा के पांच दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य समारोह के अंतर्गत तीसरे दिन छत्तीसगढ़ी लोक संगीत का कार्यक्रम हुआ। प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी लोक गायिका पूनम तिवारी ष्विराटष् एवं उनके साथियों द्वारा लोकगायन की प्रस्तुति दी गयी। वहीं इप्टा रायगढ़ की ओर से वरिष्ठ पत्रकार सुभाष त्रिपाठी ने श्रीमती पूनम तिवारी को मूमेंटो देकर सम्मानित किया।
राष्ट्रीय नाट्य समारोह के तीसरे दिन छत्तीसगढ़ी लोक गायिका श्रीमती पूनम तिवारी व उनकी टीम ने लोक गायन की प्रस्तुति दी स श्रीमती पूनम तिवारी ने मोर अडग़ा शिकारी पहली चिरैया ला देदे दाना रे फेर ते लगाबे निशाना रेए लीमें ला कतको ते शक्कर में घोल ये चीखे में कडु रे भैयाए का समझाओ मन लाए करेजा ला हुल मारे रे और सुवा गीत के अंतर्गत सेमी के मड़वा कुंदरवा के झूल वो सुवा बन के आजा मोर राजाए चोला माटी के है राम जैसे लोक गीतों से ऐसा समा बांधा कि दर्शक मंत्र मुग्ध हो गये स वहीं पूनम तिवारी ने प्रसिद्ध रंगकर्मी व पदम हबीब तनवीर के चरण दास चोर सहित अन्य नाटको में शामिल गीतों की भी प्रस्तुति दी लिए उल्लेखनीय हैं कि श्रीमती पूनम तिवारी की कला यात्रा बचपन से ही शुरू हो गयी थी। यु कहे कि पूनम तिवारी को कला विरासत में मिली है तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी स उनकी माता राधा सोनवानी व पिता नारायण राव भी कला के क्षेत्र से ही है। 9 वर्ष की उम्र से ही विभिन्न नाचा पार्टियों से नाच गाना की शुरुवात पूनम तिवारी ने की थी। श्रीमती पूनम तिवारी ने 1984 से 2005 तक प्रसिद्ध रंगकर्मी पद्म श्री हबीब तनवीर के निर्देशन में अनेक नटको में अभिनय किया। श्रीमती पूनम तिवारी ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर लंदनए पेरिसए जर्मनीए फ्रांसए स्वीडऩए रूसएबांग्लादेशए मिश्र व शिकागो सहित भरत के विभिन्न प्रदेशो में भी अपनी प्रस्तुति दी है। पारम्परिक देवार गीत व नाचा शैली का मिश्रण भी उनकी गायकी में देखने को मिलता है।
नाट्य समारोह में पूनम तिवारी की लोक गायिकी ने बांधा समा
