रायगढ़। जिले में एक दशक पूर्व कलेक्टर के तौर पर रायगढ़ जिला मुख्यालय सहित सारंगढ़, लैलंूगा, धरममजयगढ़, खरसिया विकासखंड मुख्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की नई गाथा लिखने वाले अमित कटारिया आज भी लोगों के सबसे पसंदीदा कलेक्टर माने जाते हैं। केंद्र सरकार में अपनी सेवाएं दे रहे रायगढ़ के पूर्व कलेक्टर के रायगढ़ जिले में आगमन की खबर से लोग उनके कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों की चर्चा में एक बार फिर मशगूल हो गए हैं। वर्ष 2011-13 के दौर में तत्कालीन रायगढ़ कलेक्टर अमित कटारिया ने रायगढ़ जिले में समग्र इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की जो कार्य योजना बनाई और उसे धरातल पर उतारा उससे अमिट छाप को नए रायगढ़ की कल्पना से जोडक़र देखा जा सकता है। रायगढ़ जिला मुख्यालय सहित विकासखंड मुख्यालय की सकरी सडक़ों का जीर्णोद्धार कर सडक़ चौड़ीकरण और सौंदरीकरण का जो खाका तैयार किया गया इस कार्य योजना का परिणाम है कि रायगढ़ की चारों दिशाओं में शहर का विस्तार हुआ। सारंगढ़ मार्ग से रायगढ़ के प्रवेश द्वार तक झुग्गी-झोपड़ी की तस्वीर बदलने वाले तत्कालीन कलेक्टर अमित कटारिया की दूरदर्शिता ही रही कि जुटमिल क्षेत्र में आलीशान भवनों की कतार दिख रही। शहर का विस्तार जिस तेजी के साथ जुटमिल कबीर चौक क्षेत्र में हुआ उसकी कल्पना आम आदमी की नहीं कर पा रहा था। ऐसी ही तस्वीर कोतरारोड क्षेत्र की रही जहां सडक़ चौड़ीकरण के लिए कई रोड़े अटकाने का प्रयास हुआ। लेकिन तब के कलेक्टर अमित कटारिया ने शहर को विस्तार देने का सपना संजोया था। उसे पूरा कर ही दम लिया। कोतरा रोड थाना से लेकर सतिगुड्डी चौक तक चौड़ी सडक़ का निर्माण इस क्षेत्र की तकदीर और तस्वीर बदलने का प्रमुख कारण रहा। ऐसा ही चक्रधरनगर क्षेत्र में टीवी टावर मार्ग और स्टेडियम मार्ग में सडक़ चौड़ीकरण ने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की एसी गाथा लिखी जिससे चक्रधरनगर क्षेत्र के दोनों मार्गों पर एक विकसित मार्केट और आलीशान भवनों का निर्माण लोगों के जीवन शैली और शहर विस्तार की दिशा बदलने में कामयाब रहा। शहर के मध्य पुराना शनि मंदिर से लेकर सुभाष चौक होते हुए स्टेशन चौक और आगे नटवर स्कूल तक चौड़ी सडक़ों की देन तत्कालीन कलेक्टर अमित कटारिया के दूरदर्शी सोच को दिया जाता है। यही नहीं श्री कटारिया ने सारंगढ़, धरमजयगढ़, लैलूंगा और खरसिया में सडक़ चौड़ीकरण के विजन को लेकर नगर विस्तार और सौंदर्यीकरण की दिशा में अपनी अमित छाप छोड़ी उसी का परिणाम है कि रायगढ़ जिला कस्बायी मानसिकता से ऊपर उठकर बेहतर शहरी करण के दिशा में कदम बढ़ाने का साहस कर पाया।
तब बुलडोजर का दहशत था अब सराहना
तत्कालीन कलेक्टर अमित कटारिया तब के बुलडोजर वाले कलेक्टर के रूप में जाने जाते थे। अतिक्रमण करने वालों पर बुलडोजर की दहशत तब ऐसा था कि लोग हर जगह आंदोलन करते नजर आए। लेकिन जैसे-जैसे समय के साथ निर्माण आकार लेने लगा तो आम आदमी ने भी उस प्रशासनिक अधिकारी की सोच को सलाम करने में कोई हिचक नहीं दिखाई। आज भी रायगढ़ में तत्कालीन कलेक्टर के कार्यकाल को याद कर कहा जाता है, कि थोड़ी कसर रह गई। यदि कुछ वक्त और रायगढ़ में रह जाते तो रायगढ़ की तस्वीर कुछ और होती। बहुत कम प्रशासनिक अधिकारी होते हैं जिन्हें आम जनता भी नहीं भूल पाती, यह उनके कुशल प्रशासनिक क्षमता को दर्शाता है। अमित कटारिया रायगढ़ में इसी रूप में आज भी लोगों के जहन में बसते हैं। जिन्होंने रायगढ़ की तस्वीर और तकदीर बदल दी।
कस्बायी सोच से बाहर निकले लोग
वर्ष 20211 से 2013 रायगढ़ के लिए सोंच बदलने वाला वर्ष माना जाता है। उस समय शहर की सकरी सडक़ें होने के कारण लोग कस्बायी सोच से बाहर नहीं निकल पा रहे थे, लेकिन तत्कालीन कलेक्टर अमित कटारिया के कार्यकाल में शहर को 15 फिट की सडक़ों की बजाय 80-80 फिट की सडक़ें मिली। शहर के चारों दिशाओं में सडक़ चौड़ीकरण व सौंदर्यीकरण को लेकर बुलडोजर चला और कोतरारोड, बोईरदादर, जुटमिल, रामपुर, मिट़्ठुमुड़ा सहित दर्जनभर सडक़ों ने चौड़ीकरण का व्यापक रूप देखा, जिसका नतीजा यह निकला कि आज इन इलाकों में एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों कालोनिया बिकसित हो गई, लोगों की सोच बदली और अब कस्बायी इलाके में रहने वाले लोग विकसित कालोनियों में रह रहे हैं और अक्सर ये कलेक्टर कटारिया को याद करते उदाहरण देते हैं।
इच्छा शक्ति ने किया था शहर का कायाकल्प-मुकेश जैन
राजा चक्रधर सिंह जी के बाद सेठ किरोड़ीमल ने बेहद दूरदर्शिता के साथ हमारे शहर रायगढ़ को जो आकार दिया था, वह वर्षों तक इस शहर की जरूरतों को पूरा करता रहा। इधर नब्बे के दशक से जो औद्योगीकरण हुआ उसने शहर के बुनियादी ढाँचे पर इतना अधिक दबाव बनाया कि सन 2000 आते-आते यह शहर बेहद असुविधाजनक और समस्याग्रस्त शहर में तब्दील हो गया। शहर की समस्याओं के निराकरण के छूट-पुट प्रयास तो हुये लेकिन वे नाकाफी साबित हुये। ऐसे समय में शहर को एक बड़ी सर्जरी और एकमुश्त समाधान की जरूरत थी। ठीक इन्हीं परिस्थितियों में एक सक्षम कलेक्टर की पदस्थापना रायगढ़ में हुई। अपनी कल्पनाशीलता, योजनाबद्ध कार्यक्रम, अथक मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति से इस युवा अधिकारी ने रायगढ़ के जिस तरह से कायाकल्प किया, उसने इस दम तोड़ते हुये शहर को नवजीवन दिया। आज वही दमदार कलेक्टर अमित कटारिया लम्बे समय के अंतराल में रायगढ़ प्रवास पर आ रहे हैं। स्वागत है अमित कटारिया जी, हम आपका हार्दिक अभिनंदन करते हैं।