रायगढ़। शहर की शान व राज्य का पहचान बन चुका गांधी गंज स्थित स्थापत्य कला का खूबसूरत भानी बाई टॉवर की अपनी एक अलग ही खूबसूरत दास्तां हैं। इस मनभावन ग्यारह मंजिला टॉवर में हजारों कबूतरों का आशियाना है। जहां सुबहो – शाम शहर के परिंदे प्रेमी विगत सात दशक से इनके संरक्षण व नवजीवन देने के लिए दाने – पानी की व्यवस्था कर अत्यंत हर्षित हो रहे हैं। वहीं विगत 27 वर्षों से अनवरत 26 दिसंबर को भानी बाई टॉवर की वर्षगांठ को प्रतिष्ठित सांवडिया परिवार व गांधी गंज के सभी लोग यादगार ढंग से मनाते आ रहे हैं।
दीप जलाकर काटे केक
गांधी गंज में आज शाम पांच बजे समाजसेवी गोपाल अग्रवाल के विशेष मार्गदर्शन में व गांधी गंज के निवासियों साथ ही श्री सांवडिया परिवार के सदस्यों ने विशिष्ट अतिथि सत्यनारायण अग्रवाल, अंबिका सावरिया, बैजनाथ अग्रवाल, अरुण डालमिया की उपस्थिति में 78 वीं वर्षगांठ की खुशी में टॉवर को गुब्बारे से सजाकर व दीप प्रज्ज्वलित कर व केक काटकर अपनी खुशी का इजहार किए। वहीं समाज के लोगों को भी वर्तमान परिवेश में विलुप्त हो रहे परिंदों के संरक्षण के लिए नव संदेश भी दिए कि यदि हम चाहें तो इन बेजुबां परिदों को फिर से नव जीवन मिल सकता है।
26 दिसंबर को बना टॉवर
गांधी गंज निवासी सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल अग्रवाल ने बताया कि इस भानी बाई टॉवर का निर्माण गुजरात से आए प्रतिष्ठित व्यक्ति श्याम सांवडिया गुजराती भाई ने 26 दिसंबर 1946 को किया था। पहले गांधी गंज में अनाज की मंडी लगती थी और कबूतर यहां आकर दाना चुगते थे बाद में मंडी हटने के बाद इन परिंदों को दाने चुगने को नहीं मिलते थे और तलाश करते थे। श्याम भाई की पत्नी भानी बाई को इन पक्षियों से अत्यधिक लगाव था और वे हमेशा इनको दाना-पानी देती थीं उनके परिंदों के प्रति आस्था को देखते हुए कबूतरों की हिफाजत व संरक्षण के लिए ग्यारह मंजिल का खूबसूरत टॉवर 26 दिसंबर 1946 को श्याम भाई ने बनवाया और दाने-पानी की भी व्यवस्था किए तब से यहां अब हजारों परिंदों को नवजीवन मिल रहा है।
भानी बाई टॉवर की खासियत
शहर की शान व राज्य का पहला कबूतर खाना की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें तीन सौ झरोखे लगे हैं ताकि टॉवर के अंदर उनको आने – जाने व रहने में हर मौसम में किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना ना करना पड़े। वहीं पहले लगभग तीन हजार कबूतरों की संख्या थी जो संरक्षण होने से अब लगभग पांच हजार से अधिक हो गयी है। ये कबूतर दिन-भर शहरवासियों द्वारा दिए गए दाने चुगते हैं और शाम होते ही अपने आशियाना में सुकून पाते हैं। वहीं जब ये परिंदे हजारों की संख्या में उड़ान भरते हैं और गुटूर गूं के मधुर स्वर से मुग्ध करते हैं तो यह खूबसूरत मंजर देख हर उम्र के लोगों का दिल सुकून और खुशी से भर जाता है।
गांधी गंज वासियों की पहल
गांधी गंज निवासियों व शहरवासियों की अभिनव पहल से इन कबूतरों को नव जीवन मिल रहा है। जहां प्रतिदिन सुबह व शाम को लोग बड़ी श्रद्धा से व पुण्य कार्य मानते हुए इनके मन पसंद गेहूँ, व बाजरे के दाने को चुगाने आते हैं साथ ही इनके पानी के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल अग्रवाल द्वारा इनके पानी पीने के लिए विगत कई वर्षों से मिट्टी के बर्तन की व्यवस्था करते आ रहे हैं और हमेशा इनके संरक्षण के लिए पवित्र मन से समर्पित रहते हैं।
28 वर्षों से कायम है वर्षगांठ की परंपरा
यूं तो गांधी गंज स्थित इस भानी बाई टॉवर का निर्माण 1946 में किया गया तब से प्रत्येक वर्ष के 26 दिसंबर को वर्षगांठ मनाया जा रहा है लेकिन विगत 1996 में इस टॉवर की 50 वीं वर्षगांठ की खुशी में गांधी गंज के निवासियों ने केक काटकर खुशी को इजहार करने की परंपरा को शुरुआत किए जिसे आज पर्यंत यादगार ढंग से मनाते आ रहे हैं और आज भी वर्षगांठ को यादगार ढंग से मनाया गया।
जरुरी है जीवों का संरक्षण
सावडिया परिवार की सदस्य श्रीमती अमृता सावरिया ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि आज बेजुबां जीवों की स्थिति अत्यंत दयनीय व बेहद सोचनीय है इसके लिए यदि हम सभी मिलकर इनकी सुरक्षा व संरक्षण के लिए प्रयास नहीं करेंगे तो इनका जीवन समाप्त होने का खतरा है। वहीं हर वर्ष हम सभी मिलकर वर्षगांठ उत्साह के साथ मनाते आ रहे हैं। इसी तरह समाजसेवी गोपाल अग्रवाल ने कहा कि आज बढ़ते प्रदूषण और लोगों की उपेक्षा के कारण कई जीवों की संख्या में कमी होने लगी है व विलुप्ति के कगार पर हैं। हम सभी का मानवीय कर्तव्य बनता है कि इनके लिए हम सभी लोग सार्थक पहल करें ताकि सभी बेजुबां जीवों को भी नव जीवन मिले। इसी तरह गांधी गंज मित्रकला महिला की अध्यक्ष श्रीमती बीना डालमिया ने कहा कि हम गांधी गंज निवासी व श्री सांवडिया परिवार के सदस्य मिलकर इस खूबसूरत परंपरा को जीवंत रखें हैं जो जीव संरक्षण के लिए अत्यंत जरुरी है।
इनका रहा योगदान
भानी बाई टॉवर की 78 वीं वर्षगांठ को यादगार बनाने में मारवाड़ी पंचायती धर्मशाला के अध्यक्ष संतोष अग्रवाल, पर्यावरण संरक्षक गोपाल अग्रवाल, अंबिका सांवरिया व परिवार के सदस्य, अरुण डालमिया,अंबिका सावरिया स्मारक बनाने वाले परिवार, बैजनाथ गोयल, अरुण डालमिया, आनंद डालमिया, अनिल शर्मा, रमेश चक्की, रमेश बंसल, वरिष्ठ पत्रकार हरेराम तिवारी, अशोक अग्रवाल व मित्र कला महिला मंडल पूर्व अध्यक्ष सुनीता अग्रवाल, अध्यक्ष बीना डालमिया, सुनीता अग्रवाल, अध्यक्ष बीना डालमिया, सीमा अग्रवाल, लक्ष्मी अग्रवाल, सुशीला गोयल, सुशीला पॉलीवाल, मंजू बोंदिया, सुषमा डालमिया, सुधा बंसल, संजू बंसल, बीना चौहथा, रिचा अग्रवाल, जयश्री सावरिया, अमृता सावरिया मधु सावरिया व मोहल्ले के बच्चों सहित अनेक सदस्यों का सराहनीय योगदान रहा।
सजा टॉवर, जले दीप और खुशी से कटा केक
कबूतर आशियाना भानी बाई टॉवर की मनायी गयी 78 वीं वर्षगांठ
